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साऊल और उसके बेटों का अंजाम
1 इतने में फ़िलिस्तियों और इसराईलियों के दरमियान जंग छिड़ गई थी। लड़ते लड़ते इसराईली फ़रार होने लगे, लेकिन बहुत-से लोग जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर शहीद हो गए।
2 फिर फ़िलिस्ती साऊल और उसके बेटों यूनतन, अबीनदाब और मलकीशुअ के पास जा पहुँचे। तीनों बेटे हलाक हो गए
3 जबकि लड़ाई साऊल के इर्दगिर्द उरूज तक पहुँच गई। फिर वह तीरअंदाज़ों का निशाना बनकर बुरी तरह ज़ख़मी हो गया।
4 उसने अपने सिलाहबरदार को हुक्म दिया, “अपनी तलवार मियान से खींचकर मुझे मार डाल, वरना यह नामख़तून मुझे छेदकर बेइज़्ज़त करेंगे।” लेकिन सिलाहबरदार ने इनकार किया, क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था। आख़िर में साऊल अपनी तलवार लेकर ख़ुद उस पर गिर गया।
5 जब सिलाहबरदार ने देखा कि मेरा मालिक मर गया है तो वह भी अपनी तलवार पर गिरकर मर गया।
6 यों उस दिन साऊल, उसके तीन बेटे, उसका सिलाहबरदार और उसके तमाम आदमी हलाक हो गए।
7 जब मैदाने-यज़्रएल के पार और दरियाए-यरदन के पार रहनेवाले इसराईलियों को ख़बर मिली कि इसराईली फ़ौज भाग गई और साऊल अपने बेटों समेत मारा गया है तो वह अपने शहरों को छोड़कर भाग निकले, और फ़िलिस्ती छोड़े हुए शहरों पर क़ब्ज़ा करके उनमें बसने लगे।
8 अगले दिन फ़िलिस्ती लाशों को लूटने के लिए दुबारा मैदाने-जंग में आ गए। जब उन्हें जिलबुअ के पहाड़ी सिलसिले पर साऊल और उसके तीनों बेटे मुरदा मिले
9 तो उन्होंने साऊल का सर काटकर उसका ज़िरा-बकतर उतार लिया और क़ासिदों को अपने पूरे मुल्क में भेजकर अपने बुतों के मंदिर में और अपनी क़ौम को फ़तह की इत्तला दी।
10 साऊल का ज़िरा-बकतर उन्होंने अस्तारात देवी के मंदिर में महफ़ूज़ कर लिया और उस की लाश को बैत-शान की फ़सील से लटका दिया।
11 जब यबीस-जिलियाद के बाशिंदों को ख़बर मिली कि फ़िलिस्तियों ने साऊल की लाश के साथ क्या कुछ किया है
12 तो शहर के तमाम लड़ने के क़ाबिल आदमी बैत-शान के लिए रवाना हुए। पूरी रात चलते हुए वह शहर के पास पहुँच गए। साऊल और उसके बेटों की लाशों को फ़सील से उतारकर वह उन्हें यबीस को ले गए। वहाँ उन्होंने लाशों को भस्म कर दिया
13 और बची हुई हड्डियों को शहर में झाऊ के दरख़्त के साये में दफ़नाया। उन्होंने रोज़ा रखकर पूरे हफ़ते तक उनका मातम किया।