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सेहतबख़्श तालीम
लेकिन आप वह कुछ सुनाएँ जो सेहतबख़्श तालीम से मुताबिक़त रखता है। बुज़ुर्ग मर्दों को बता देना कि वह होशमंद, शरीफ़ और समझदार हों। उनका ईमान, मुहब्बत और साबितक़दमी सेहतमंद हों।
इसी तरह बुज़ुर्ग ख़वातीन को हिदायत देना कि वह मुक़द्दसीन की-सी ज़िंदगी गुज़ारें। न वह तोहमत लगाएँ न शराब की ग़ुलाम हों। इसके बजाए वह अच्छी तालीम देने के लायक़ हों ताकि वह जवान औरतों को समझदार ज़िंदगी गुज़ारने की तरबियत दे सकें, कि वह अपने शौहरों और बच्चों से मुहब्बत रखें, कि वह समझदार * और मुक़द्दस हों, कि वह घर के फ़रायज़ अदा करने में लगी रहें, कि वह नेक हों, कि वह अपने शौहरों के ताबे रहें। अगर वह ऐसी ज़िंदगी गुज़ारें तो वह दूसरों को अल्लाह के कलाम पर कुफ़र बकने का मौक़ा फ़राहम नहीं करेंगी।
इसी तरह जवान आदमियों की हौसलाअफ़्ज़ाई करें कि वह हर लिहाज़ से समझदार ज़िंदगी गुज़ारें। आप ख़ुद नेक काम करने में उनके लिए नमूना बनें। तालीम देते वक़्त आपकी ख़ुलूसदिली, शराफ़त और अलफ़ाज़ की बेइलज़ाम सेहत साफ़ नज़र आए। फिर आपके मुख़ालिफ़ शरमिंदा हो जाएंगे, क्योंकि वह हमारे बारे में कोई बुरी बात नहीं कह सकेंगे।
ग़ुलामों को कह देना कि वह हर लिहाज़ से अपने मालिकों के ताबे रहें। वह उन्हें पसंद आएँ, बहस-मुबाहसा किए बग़ैर उनकी बात मानें 10 और उनकी चीज़ें चोरी न करें बल्कि साबित करें कि उन पर हर तरह का एतमाद किया जा सकता है। क्योंकि इस तरीक़े से वह हमारे नजातदहिंदा अल्लाह के बारे में तालीम को हर तरह से दिलकश बना देंगे।
11 क्योंकि अल्लाह का नजातबख़्श फ़ज़ल तमाम इनसानों पर ज़ाहिर हुआ है। 12 और यह फ़ज़ल हमें तरबियत देकर इस क़ाबिल बना देता है कि हम बेदीनी और दुनियावी ख़ाहिशात का इनकार करके इस दुनिया में समझदार, रास्तबाज़ और ख़ुदातरस ज़िंदगी गुज़ार सकें। 13 साथ साथ यह तरबियत उस मुबारक दिन का इंतज़ार करने में हमारी मदद करती है जिसकी उम्मीद हम रखते हैं और जब हमारे अज़ीम ख़ुदा और नजातदहिंदा ईसा मसीह का जलाल ज़ाहिर हो जाएगा। 14 क्योंकि मसीह ने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि फ़िद्या देकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ाकर अपने लिए एक पाक और मख़सूस क़ौम बनाए जो नेक काम करने में सरगरम हो।
15 इन्हीं बातों की तालीम देकर पूरे इख़्तियार के साथ लोगों को समझाएँ और उनकी इसलाह करें। कोई भी आपको हक़ीर न जाने।
* 2:5 यूनानी लफ़्ज़ में ज़ब्ते-नफ़स का उनसुर भी पाया जाता है।