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बुतपरस्ती और झूटी नबुव्वत का ख़ातमा
उस दिन दाऊद के घराने और यरूशलम के बाशिंदों के लिए चश्मा खोला जाएगा जिसके ज़रीए वह अपने गुनाहों और नापाकी को दूर कर सकेंगे।”
रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “उस दिन मैं तमाम बुतों को मुल्क में से मिटा दूँगा। उनका नामो-निशान तक नहीं रहेगा, और वह किसी को याद नहीं रहेंगे।
नबियों और नापाकी की रूह को भी मैं मुल्क से दूर करूँगा। इसके बाद अगर कोई नबुव्वत करे तो उसके अपने माँ-बाप उससे कहेंगे, ‘तू ज़िंदा नहीं रह सकता, क्योंकि तूने रब का नाम लेकर झूट बोला है।’ जब वह पेशगोइयाँ सुनाएगा तो उसके अपने वालिदैन उसे छेद डालेंगे। उस वक़्त हर नबी को अपनी रोया पर शर्म आएगी जब नबुव्वत करेगा। वह नबी का बालों से बना लिबास नहीं पहनेगा ताकि फ़रेब दे बल्कि कहेगा, ‘मैं नबी नहीं बल्कि काश्तकार हूँ। जवानी से ही मेरा पेशा खेतीबाड़ी रहा है।’ अगर कोई पूछे, ‘तो फिर तेरे सीने पर ज़ख़मों के निशान किस तरह लगे? तो जवाब देगा, मैं अपने दोस्तों के घर में ज़ख़मी हुआ’।”
लोगों की जाँच-पड़ताल
रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “ऐ तलवार, जाग उठ! मेरे गल्लाबान पर हमला कर, उस पर जो मेरे क़रीब है। गल्लाबान को मार डाल ताकि भेड़-बकरियाँ तित्तर-बित्तर हो जाएँ। मैं ख़ुद अपने हाथ को छोटों के ख़िलाफ़ उठाऊँगा।” रब फ़रमाता है, “पूरे मुल्क में लोगों के तीन हिस्सों में से दो हिस्सों को मिटाया जाएगा। दो हिस्से हलाक हो जाएंगे और सिर्फ़ एक ही हिस्सा बचा रहेगा। इस बचे हुए हिस्से को मैं आग में डालकर चाँदी या सोने की तरह पाक-साफ़ करूँगा। तब वह मेरा नाम पुकारेंगे, और मैं उनकी सुनूँगा। मैं कहूँगा, ‘यह मेरी क़ौम है,’ और वह कहेंगे, ‘रब हमारा ख़ुदा है’।”