इफ़िसियों के नाम पौलुस रसूल का ख़त
मुसन्निफ़ की पहचान
1 इफ़िसियों 1:1 पौलूस रसूल को इफ़िसियों की किताब का मुसन्निफ़ बतौर पहचान कराता है। इफ़िसियों की किताब जिस को पौलूस ने लिखा था इस को कलीसिया के इबदाई दिनों से ही ऊँचा मक़ाम दिया गया था और नामी बुज़ूर्गों जैसे क्लेमेन्ट आफ़ रोम, इगनेशियस, हरमेस, और पाली कार्प इस किताब का हवाला पेश करते थे।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इस किताब को तक़रीबन 60 ईस्वी के बीच लिखा गया।
उन दिनों जब पौलूस रोम में क़ैद थ तब उसने लिखा होगा।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
इफ़िसियों की कलीसिया के लोग सबसे पहले इस किताब के क़बूल कुनिन्दा पाने वाले थे। पौलूस साफ़ तौर से इशारा करता है कि उस के मख़्सूस करदा क़ारिईन ग़ैर यहूदी थे। इफ़िसियों 2:11 — 13 में पौलूस ख़ास तौर से बयान करता है कि उस के क़ारिईन जिस्म के रू से ग़ैर कौम वाले थे (2:11) और इस लिए वह यहूदियों की नज़र में वायदा के अहदों से नावाक़िफ़ बतौर थे (2:12) इसी तरह इफ़िसियों 3:1 में पौलूस इतला‘ करता है कि उस के मख़्सूस करदा क़ारिईन ग़ैर क़ौम के लोग थे जिन के सबब से वह क़ैद में था।
असल मक़सूद
पौलूस का इरादा था कि वह सब जो मसीह के जैसे कामिलियत का तवक़्क़ो‘ रखते हैं वह इस तहरीर को हासिल करेंगे। इफ़िसियों की किताब में जो मल्फ़ूफ़ है वह है: ज़हनी और अख़लाक़ी तरबियत जिस में बढ़ना और तरक़्क़ी करना ख़ुदा के सच्चे फ़र्ज़न्दों के लिए ज़रूरी है। इस के अलावा इफ़िसियों की किताब का मुताला‘ एक ईमान्दार को क़ुव्वत अमल पैदा करने और ईमान में क़ायम रहने में मदद करेगा ताकि वह ख़ुदा के मक़सद और बुलाहट को जो उस के लिए है पूरा कर सके। इफ़सुस के ईमान्दारों को पौलूस ने मख़्सूस किया कि वह अपने मसीही ईमान में मज़्बूत हों सो उस ने कलीसिया की फ़ितरत और मक़्सद को उन्हें समझाया। पौलूस ने इफ़िसियों की किताब में कई एक ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया जो ग़ैर क़ौम से आये मसीही क़ारिईन के जाने पहचाने अल्फ़ाज़ थे जैसे बदन का सिर, मा‘मूरी, भेद, उम्र, हाकिम वग़ैरा वग़ैरा। उस ने इन अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया कि अपने क़ारिईन पर इस बात को ज़ाहिर करे कि मसीह सब बातों में अहम तीरन और आ‘ला है कि वह तमाम मलाइक से, मज़्हबी हुकूमत, कलीसियाई हुकूमत, पादरियों की दर्जावार तर्तीब इन सब से ऊंचा और आ‘ला मर्तबा रखता है।
मौज़’अ
मसीह में बर्कतें।
बैरूनी ख़ाका
कलीसिया के लोगों लिये इल्म-ए- इलाही — 1:1-3:21
कलीसिया के लोगों लिये ज़िम्मेदारियां — 4:1-6:24
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पौलुस का सलाम
पौलुस की तरफ़ से जो ख़ुदा की मर्ज़ी से ईसा मसीह का रसूल है, उन मुक़द्दसों के नाम ख़त जो इफ़िसुस शहर में हैं और ईसा मसीह 'में ईमान्दार हैं: हमारे बाप ख़ुदा और ख़ुदावन्द ईसा मसीह की तरफ़ से तुम्हें फ़ज़ल और इत्मीनान हासिल होता रहे।
हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के ख़ुदा और बाप की हम्द हो, जिसने हम को मसीह में आसमानी मुक़ामों पर हर तरह की रूहानी बर्क़त बख़्शी। चुनाँचे उसने हम को दुनियाँ बनाने से पहले उसमें चुन लिया, ताकि हम उसके नज़दीक मुहब्बत में पाक और बे'ऐब हों!
ख़ुदा अपनी मर्ज़ी के नेक इरादे के मुवाफ़िक़ हमें अपने लिए पहले से मुक़र्रर किया कि ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा लेपालक बेटे हों, ताकि उसके उस फ़ज़ल के जलाल की सिताइश हो जो हमें उस 'अज़ीज़ में मुफ़्त बख़्शा।
हम को उसमें 'ईसा के ख़ून के वसीले से मख़लसी, या'नी क़ुसूरों की मु'आफ़ी उसके उस फ़ज़ल की दौलत के मुवाफ़िक़ हासिल है, जो ख़ुदा ने हर तरह की हिक्मत और दानाई के साथ कसरत से हम पर नाज़िल किया
चुनाँचे उसने अपनी मर्ज़ी के राज़ को अपने उस नेक इरादे के मुवाफ़िक़ हम पर ज़ाहिर किया, जिसे अपने में ठहरा लिया था 10 ताकि ज़मानो के पूरे होने का ऐसा इन्तिज़ाम हो कि मसीह में सब चीज़ों का मजमू'आ हो जाए, चाहे वो आसमान की हों चाहे ज़मीन की।
11 उसी में हम भी उसके इरादे के मुवाफ़िक़ जो अपनी मर्ज़ी की मसलेहत से सब कुछ करता है, पहले से मुक़र्रर होकर मीरास बने। 12 ताकि हम जो पहले से मसीह की उम्मीद में थे, उसके जलाल की सिताइश का ज़रिया हो
13 और उसी में तुम पर भी, जब तुम ने कलाम — ए — हक़ को सुना जो तुम्हारी नजात की ख़ुशख़बरी है और उस पर ईमान लाए, वादा की हुई पाक रूह की मुहर लगी। 14 पाक रूह ही ख़ुदा की मिल्कियत की मख़लसी के लिए हमारी मीरास की पेशगी है, ताकि उसके जलाल की सिताइश हो।
15 इस वजह से मैं भी उस ईमान का, जो तुम्हारे दरमियान ख़ुदावन्द ईसा' पर है और सब मुक़द्दसों पर ज़ाहिर है, हाल सुनकर। 16 तुम्हारे ज़रिए शुक्र करने से बा'ज़ नहीं आता, और अपनी दु'आओं में तुम्हें याद किया करता हूँ।
17 कि हमारे ख़ुदावन्द ईसा' मसीह का ख़ुदा जो जलाल का बाप है, तुम्हें अपनी पहचान में हिक्मत और मुक़ाशिफ़ा की रूह बख़्शे; 18 और तुम्हारे दिल की आँखें रौशन हो जाएँ ताकि तुम को मालूम हो कि उसके बुलाने से कैसी कुछ उम्मीद है, और उसकी मीरास के जलाल की दौलत मुक़द्दसों में कैसी कुछ है, 19 और हम ईमान लानेवालों के लिए उसकी बड़ी क़ुदरत क्या ही अज़ीम है। उसकी बड़ी क़ुव्वत की तासीर के मुवाफ़िक़, 20 जो उसने मसीह में की, जब उसे मुर्दों में से जिला कर अपनी दहनी तरफ़ आसमानी मुक़ामों पर बिठाया, 21 और हर तरह की हुकूमत और इख़्तियार और क़ुदरत और रियासत और हर एक नाम से बहुत ऊँचा किया, जो न सिर्फ़ इस जहान में बल्कि आनेवाले जहान में भी लिया जाएगा;
22 और सब कुछ उसके पाँव तले कर दिया; और उसको सब चीज़ों का सरदार बनाकर कलीसिया को दे दिया, 23 ये 'ईसा का बदन है, और उसी की मा'मूरी जो हर तरह से सबका मा'मूर करने वाला है।