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डेरे के लिये पेशकश
और ख़ुदावन्द ने मूसा को फ़रमाया, 'बनी — इस्राईल से यह कहना कि मेरे लिए नज़्र लाएँ, और तुम उन्हीं से मेरी नज़्र लेना जो अपने दिल की ख़ुशी से दें। और जिन चीज़ों की नज़्र तुम को उनसे लेनी हैं वह यह हैं: सोना और चाँदी और पीतल, और आसमानी और अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग का कपड़ा और बारीक कतान और बकरी की पश्म, और मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालें और तुख़स की खालें और कीकर की लकड़ी, और चराग़ के लिए तेल और मसह करने के तेल के लिए और ख़ुशबूदार ख़ुशबू के लिए मसाल्हे, और संग-ए-सुलेमानी और अफ़ोद और सीनाबन्द में जड़ने के नगीने। *और दोनों पत्थरों को अफ़ूद के दोनों मूढ़ोंपर लगाना (28:12) औरदूसराइन बारह पत्थरों में से एक पत्थर सरदार काहिन के सीनाबंद में बांधना (28:22) और यह अफ़ोद एक पटका था जिसे सरदार काहिन कपड़े की तरह पहिनता था — इस का ज़िक्र 28:6 — 14 में किया गया है और वह मेरे लिए एक मक़दिस बनाएँ ताकि मैं उनके बीच सुकूनत करूँ। और घर और उसके सारे सामान का जो नमूना मैं तुझे दिखाऊँ ठीक उसी के मुताबिक़ तुम उसे बनाना।
अहद के डेरे के सन्दूक के लिये मन्सुबे
10 'और वह कीकर की लकड़ी का एक सन्दूक़ बनाये जिस की लम्बाई ढाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ और ऊँचाई डेढ़ हाथ हो। 11 और तू उसके अन्दर और बाहर ख़ालिस सोना मंढ़ना और उसके ऊपर चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना। 12 और उसके लिए सोने के चार कड़े ढालकर उसके चारों पायों में लगाना, दो कड़े एक तरफ़ हों और दो ही दूसरी तरफ़। 13 और कीकर की लकड़ी की चोबें बना कर उन पर सोना मंढ़ना। 14 और इन चोबों को सन्दूक़ के पास के कड़ों में डालना कि उनके सहारे सन्दूक उठ जाए। 15 चोबें सन्दूक के कड़ों के अन्दर लगी रहें और उससे अलग न की जाएँ। 16 और तू उस शहादत नामे को जो मैं तुझे दूँगा उसी सन्दूक में रखना। 17 “और कफ़फारे का सर्पोश तू कफ़्फ़ारे का ढांकने की चीज़सरपोश ख़ालिस सोने का बनाना जिसकी लम्बाई ढाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ हो। 18 और सोने के दो करूबी सरपोश के दोनों सिरों पर गढ़ कर बनाना। 19 एक करूबी को एक सिरे पर और दूसरे करूबी को दूसरे सिरे पर लगाना, और तुम सरपोश को और दोनों सिरों के करूबियों को एक ही टुकड़े से बनाना। 20 और वह करूबी इस तरह ऊपर को अपने पर फैलाए हुए हों कि सरपोश को अपने परों से ढाँक लें और उनके मुँह आमने — सामने सरपोश की तरफ़ हों। 21 और तू उस सरपोश को उस सन्दूक के ऊपर लगाना और वह 'अहदनामा जो मैं तुझे दूँगा उसे उस सन्दूक के अन्दर रखना। 22 वहाँ मैं तुझ से मिला करूँगा और उस सरपोश के ऊपर से और करूबियों के बीच में से जो 'अहदनामे के सन्दूक़ के ऊपर होंगे, उन सब अहकाम के बारे में जो मैं बनी — इस्राईल के लिए तुझे दूँगा तुझ से बातचीत किया करूँगा।
मेज़ के लिये मन्सुबे
23 “और तू दो हाथ लम्बी और एक हाथ चौड़ी और डेढ़ हाथ ऊँची कीकर की लकड़ी की एक मेज़ भी बनाना। 24 और उसको ख़ालिस सोने से मंढ़ना और उसके चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना। 25 और उसके चौगिर्द चार उंगल चौड़ी एक कंगनी लगाना और उस कंगनी के चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना। 26 और सोने के चार कड़े उसके लिए बना कर उन कड़ों को उन चारों कोनों में लगाना जो चारों पायों के सामने होंगे। 27 वह कड़े कंगनी के पास ही हों, ताकि चोबों के लिए जिनके सहारे मेज़ उठाई जाए घरों का काम दें। 28 और कीकर की लकड़ी की चोबें बना कर उनको सोने से मंढ़ना ताकि मेज़ उन्हीं से उठाई जाए। 29 और तू उसके तबाक़ और चमचे और आफ़ताबे और उंडेलने के बड़े — बड़े कटोरे सब ख़ालिस सोने के बनाना। 30 और तू उस मेज़ पर नज़्र की रोटियाँ हमेशा मेरे सामने रखना।
शमा'दान के लिये मन्सुबे
31 “और तू ख़ालिस सोने का एक शमा'दान बनाना। वह शमा'दान और उसका पाया और डन्डी सब घड़ कर बनाए जाएँ और उसकी प्यालियाँ और लट्टू और उसके फूल सब एक ही टुकड़े के बने हों। 32 और उसके दोनों पहलुओं से छ: शाँख़े बाहर को निकलती हों, तीन शाखें शमा'दान के एक पहलू से निकलें और तीन दूसरे पहलू से। 33 एक शाख़ में बादाम के फूल की सूरत की तीन प्यालियाँ, एक लट्टू और एक फूल हो; और दूसरी शाख़ में भी बादाम के फूल की सूरत की तीन प्यालियाँ, एक लट्टू और एक फूल हो; इसी तरह शमा'दान की छहों शाख़ों में यह सब लगा हुआ हो। 34 और खु़द शमादान में बादाम के फूल की सूरत की चार प्यालियाँ अपने — अपने लट्टू और फूल समेत हों। 35 और दो शाख़ों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों और फिर दो शाख़ों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों और फिर दो शाखों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों शमा'दान की छहों बाहर को निकली हुई शाखें ऐसी ही हों। 36 या'नी लट्टू और शाख़ें और शमा 'दान सब एक ही टुकड़े के बने हों, यह सबका सब ख़ालिस सोने के एक ही टुकड़े से गढ़ कर बनाया जाए। 37 और तू उसके लिए सात चराग़ बनाना, यही चराग़ जलाए जाएँ ताकि शमा'दान के सामने रौशनी हो। 38 और उसके गुलगीर और गुलदान ख़ालिस सोने के हों। 39 शमा'दान और यह सब बर्तन एक §35 किलोग्रामकिन्तार ख़ालिस सोने के बने हुए हों। 40 और देख, तू इनको ठीक इनके नमूने के मुताबिक़ जो तुझे पहाड़ पर दिखाया गया है बनाना।

*25:7 और दोनों पत्थरों को अफ़ूद के दोनों मूढ़ोंपर लगाना (28:12) औरदूसराइन बारह पत्थरों में से एक पत्थर सरदार काहिन के सीनाबंद में बांधना (28:22) और यह अफ़ोद एक पटका था जिसे सरदार काहिन कपड़े की तरह पहिनता था — इस का ज़िक्र 28:6 — 14 में किया गया है

25:17 कफ़फारे का सर्पोश

25:17 ढांकने की चीज़

§25:39 35 किलोग्राम