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अय्यूब का खु़दावन्द को जवाब देना
तब अय्यूब ने ख़ुदावन्द यूँ जवाब दिया
“मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है,
और तेरा कोई इरादा रुक नहीं सकता।
यह कौन है जो नादानी से मसलहत पर पर्दा डालता है?”
लेकिन मैंने जो न समझा वही कहा,
या'नी ऐसी बातें जो मेरे लिए बहुत 'अजीब थीं जिनको मैं जानता न था।
'मैं तेरी मिन्नत करता हूँ सुन,
मैं कुछ कहूँगा। मैं तुझ से सवाल करूँगा, तू मुझे बता।
मैंने तेरी ख़बर कान से सुनी थी,
लेकिन अब मेरी आँख तुझे देखती है;
इसलिए मुझे अपने आप से नफ़रत है,
और मैं ख़ाक और राख में तौबा करता हूँ।”
और ऐसा हुआ कि जब ख़ुदावन्द यह बातें अय्यूब से कह चुका, तो उसने इलिफ़ज़ तेमानी से कहा कि “मेरा ग़ज़ब तुझ पर और तेरे दोनों दोस्तों पर भड़का है, क्यूँकि तुम ने मेरे बारे में वह बात न कही जो हक़ है, जैसे मेरे बन्दे अय्यूब ने कही। इसलिए अब अपने लिए सात बैल और सात मेंढे लेकर, मेरे बन्दे अय्यूब के पास जाओ और अपने लिए सोख़्तनी कु़र्बानी पेश करो, और मेरा बन्दा अय्यूब तुम्हारे लिए दुआ करेगा; क्यूँकि उसे तो मैं क़ुबूल करूँगा ताकि तुम्हारी जिहालत के मुताबिक़ तुम्हारे साथ सुलूक न करूँ, क्यूँकि तुम ने मेरे बारे में वह बात न कही जो हक़ है, जैसे मेरे बन्दे अय्यूब ने कही।” इसलिए इलिफ़ज़ तेमानी, और बिलदद सूखी और जूफ़र ना'माती ने जाकर जैसा ख़ुदावन्द ने उनको फ़रमाया था किया, और ख़ुदावन्द ने अय्यूब को क़ुबूल किया। 10 और ख़ुदावन्द ने अय्यूब की ग़ुलामी को जब उसने अपने दोस्तों के लिए दुआ की बदल दिया और ख़ुदावन्द ने अय्यूब को जितने उसके पास पहले था उसका दो गुना दे दिया। 11 तब उसके सब भाई और सब बहनें और उसके सब अगले जान — पहचान उसके पास आए, और उसके घर में उसके साथ खाना खाया; और उस पर नौहा किया और उन सब बलाओं के बारे में, जो ख़ुदावन्द ने उस पर नाज़िल की थीं, उसे तसल्ली दी। हर शख़्स ने उसे एक सिक्का भी दिया और हर एक ने सोने की एक बाली। 12 यूँ ख़ुदावन्द ने अय्यूब के आख़िरी दिनों में शुरू'आत की निस्बत ज़्यादा बरकत बख़्शी; और उसके पास चौदह हज़ार भेड़ बकरियाँ, और छ: हज़ार ऊँट, और हज़ार जोड़ी बैल, और हज़ार गधियाँ, हो गईं। 13 उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ भी हुई। 14 और उसने पहली का नाम यमीमा और दूसरी का नाम क़स्याह और तीसरी का नाम क़रन — हप्पूक रख्खा। 15 और उस सारी सर ज़मीन में ऐसी 'औरतें कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों की तरह ख़ूबसूरत हों, और उनके बाप ने उनको उनके भाइयों के बीच मीरास दी। 16 और इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस बरस ज़िन्दा रहा, और अपने बेटे और पोते चौथी पुश्त तक देखे। 17 और अय्यूब ने बुड्ढा और बुज़ुर्ग होकर वफ़ात पाई।