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 1 ऐ ख़ुदा तू मुझे अपने क़हर में न झिड़क,  
और अपने ग़ज़बनाक ग़ुस्से में मुझे तम्बीह न दे।   
 2 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं अधमरा हो गया हूँ।  
ऐ ख़ुदवन्द, मुझे शिफ़ा दे, क्यूँकि मेरी हडिडयों में बेक़रारी है।   
 3 मेरी जान भी बहुत ही बेक़रार है;  
और तू ऐ ख़ुदावन्द, कब तक?   
 4 लौट ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा।  
अपनी शफ़क़त की ख़ातिर मुझे बचा ले।   
 5 क्यूँकि मौत के बाद तेरी याद नहीं होती,  
क़ब्र में कौन तेरी शुक्रगुज़ारी करेगा?   
 6 मैं कराहते कराहते थक गया,  
मैं अपना पलंग आँसुओं से भिगोता हूँ हर रात मेरा बिस्तर तैरता है।   
 7 मेरी आँख ग़म के मारे बैठी जाती हैं,  
और मेरे सब मुख़ालिफ़ों की वजह से धुंधलाने लगीं।   
 8 ऐ सब बदकिरदारो, मेरे पास से दूर हो;  
क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मेरे रोने की आवाज़ सुन ली है।   
 9 खूदावन्द ने मेरी मिन्नत सुन ली;  
ख़ुदावन्द मेरी दुआ क़ुबूल करेगा।   
 10 मेरे सब दुश्मन शर्मिन्दा और बहुत ही बेक़रार होंगे;  
वह लौट जाएँगे, वह अचानक शर्मिन्दा होंगे।