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 1 ज़मीन और उसकी मा'मुरी ख़ुदावन्द ही की है,  
जहान और उसके बाशिन्दे भी।   
 2 क्यूँकि उसने समन्दरों पर उसकी बुनियाद रख्खी  
और सैलाबों पर उसे क़ाईम किया।   
 3 ख़ुदावन्द के पहाड़ पर कौन चढ़ेगा?  
और उसके पाक मक़ाम पर कौन खड़ा होगा?   
 4 वही जिसके हाथ साफ़ हैं और जिसका दिल पाक है,  
जिसने बकवास पर दिल नहीं लगाया,  
और मक्र से क़सम नहीं खाई।   
 5 वह ख़ुदावन्द की तरफ़ से बरकत पाएगा,  
हाँ अपने नजात देने वाले ख़ुदा की तरफ़ से सदाक़त।   
 6 यही उसके तालिबों की नसल है,  
यही तेरे दीदार के तलबगार हैं या'नी या'क़ूब। सिलाह   
 7 ऐ फाटको, अपने सिर बुलन्द करो।  
ऐ अबदी दरवाज़ो, ऊँचे हो जाओ!  
और जलाल का बादशाह दाख़िल होगा।   
 8 यह जलाल का बादशाह कौन है?  
ख़ुदावन्द जो क़वी और क़ादिर है,  
ख़ुदावन्द जो जंग में ताक़तवर है!   
 9 ऐ फाटको, अपने सिर बुलन्द करो!  
ऐ अबदी दरवाज़ो, उनको बुलन्द करो!  
और जलाल का बादशाह दाख़िल होगा।   
 10 यह जलाल का बादशाह कौन है?  
लश्करों का ख़ुदावन्द, वही जलाल का बादशाह है। सिलाह।