26
 1 ऐ ख़ुदावन्द, मेरा इन्साफ़ कर,  
क्यूँकि मैं रास्ती से चलता रहा हूँ,  
और मैंने ख़ुदावन्द पर बे लग़ज़िश भरोसा किया है।   
 2 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे जाँच और आज़मा;  
मेरे दिल — ओ — दिमाग़ को परख।   
 3 क्यूँकि तेरी शफ़क़त मेरी आँखों के सामने है,  
और मैं तेरी सच्चाई की राह पर चलता रहा हूँ।   
 4 मैं बेहूदा लोगों के साथ नहीं बैठा,  
मैं रियाकारों के साथ कहीं नहीं जाऊँगा।   
 5 बदकिरदारों की जमा'अत से मुझे नफ़रत है,  
मैं शरीरों के साथ नहीं बैठूँगा।   
 6 मैं बेगुनाही में अपने हाथ धोऊँगा,  
और ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे मज़बह का तवाफ़ करूँगा;   
 7 ताकि शुक्रगुज़ारी की आवाज़ बुलन्द करूँ,  
और तेरे सब 'अजीब कामों को बयान करूँ।   
 8 ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी सकूनतगाह,  
और तेरे जलाल के ख़ेमे को 'अज़ीज़ रखता हूँ।   
 9 मेरी जान को गुनहगारों के साथ,  
और मेरी ज़िन्दगी को ख़ूनी आदमियों के साथ न मिला।   
 10 जिनके हाथों में शरारत है,  
और जिनका दहना हाथ रिश्वतों से भरा है।   
 11 लेकिन मैं तो रास्ती से चलता रहूँगा।  
मुझे छुड़ा ले और मुझ पर रहम कर।   
 12 मेरा पाँव हमवार जगह पर क़ाईम है।  
मैं जमा'अतों में ख़ुदावन्द को मुबारक कहूँगा।