54
1 ऐ ख़ुदा! अपने नाम के वसीले से मुझे बचा,
और अपनी कु़दरत से मेरा इन्साफ़ कर।
2 ऐ ख़ुदा मेरी दुआ सुन ले;
मेरे मुँह की बातों पर कान लगा।
3 क्यूँकि बेगाने मेरे ख़िलाफ़ उठे हैं,
और टेढ़े लोग मेरी जान के तलबगार हुए हैं;
उन्होंने ख़ुदा को अपने सामने नहीं रख्खा।
4 देखो, ख़ुदा मेरा मददगार है!
ख़ुदावन्द मेरी जान को संभालने वालों में है।
5 वह बुराई को मेरे दुश्मनों ही पर लौटा देगा;
तू अपनी सच्चाई की रूह से उनको फ़ना कर!
6 मैं तेरे सामने रज़ा की कु़र्बानी चढ़ाऊँगा;
ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे नाम की शुक्रगु़ज़ारी करूँगा
क्यूँकि वह खू़ब है।
7 क्यूँकि उसने मुझे सब मुसीबतों से छुड़ाया है,
और मेरी आँख ने मेरे दुश्मनों को देख लिया है।