59
 1 ऐ मेरे खु़दा मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ा  
मेरे ख़िलाफ़ उठने वालों पर सरफ़राज़ कर।   
 2 मुझे बदकिरदारों से छुड़ा,  
और खूंख़्वार आदमियों से मुझे बचा।   
 3 क्यूँकि देख, वह मेरी जान की घात में हैं।  
ऐ ख़ुदावन्द! मेरी ख़ता या मेरे गुनाह के बगै़र ज़बरदस्त लोग मेरे ख़िलाफ़ इकठ्ठे होते हैं।   
 4 वह मुझ बेक़सूर पर दौड़ दौड़कर तैयार होते हैं;  
मेरी मदद के लिए जाग और देख!   
 5 ऐ ख़ुदावन्द, लश्करों के ख़ुदा! इस्राईल के ख़ुदा!  
सब कौमों के मुहासिबे के लिए उठ;  
किसी दग़ाबाज़ ख़ताकार पर रहम न कर। सिलाह   
 6 वह शाम को लौटते और कुत्ते की तरह भौंकते हैं  
और शहर के गिर्द फिरते हैं।   
 7 देख! वह अपने मुँह से डकारते हैं,  
उनके लबों के अन्दर तलवारें हैं;  
क्यूँकि वह कहते हैं, “कौन सुनता है?”   
 8 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द! तू उन पर हँसेगा;  
तू तमाम क़ौमों को ठट्ठों में उड़ाएगा।   
 9 ऐ मेरी कु़व्वत, मुझे तेरी ही आस होगी,  
क्यूँकि ख़ुदा मेरा ऊँचा बुर्ज है।   
 10 मेरा ख़ुदा अपनी शफ़क़त से मेरा अगुवा होगा,  
ख़ुदा मुझे मेरे दुश्मनों की पस्ती दिखाएगा।   
 11 उनको क़त्ल न कर, ऐसा न हो मेरे लोग भूल जाएँ  
ऐ ख़ुदावन्द, ऐ हमारी ढाल!,  
अपनी कु़दरत से उनको तितर बितर करके पस्त कर दे।   
 12 वह अपने मुँह के गुनाह,  
और अपने होंटों की बातों और अपनी लान तान और झूट बोलने के वजह से,  
अपने गु़रूर में पकड़े जाएँ।   
 13 क़हर में उनको फ़ना कर दे,  
फ़ना कर दे ताकि वह बर्बाद हो जाएँ,  
और वह ज़मीन की इन्तिहा तक जान लें,  
कि ख़ुदा या'क़ूब पर हुक्मरान है।   
 14 फिर शाम को वह लौटें और कुत्ते की तरह भौंकें  
और शहर के गिर्द फिरें।   
 15 वह खाने की तलाश में मारे मारे फिरें,  
और अगर आसूदा न हों तो सारी रात ठहरे रहे।   
 16 लेकिन मैं तेरी कु़दरत का हम्द गाऊँगा,  
बल्कि सुबह को बुलन्द आवाज़ से तेरी शफ़क़त का हम्द गाऊँगा।  
क्यूँकि तू मेरा ऊँचा बुर्ज है,  
और मेरी मुसीबत के दिन मेरी पनाहगाह।   
 17 ऐ मेरी ताक़त, मै तेरी मदहसराई करूँगा;  
क्यूँकि ख़ुदा मेरा शफ़ीक़ ख़ुदा मेरा ऊँचाबुर्ज है।