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 1 ऐ ख़ुदा मेरी फ़रियाद की आवाज़ सुन ले मेरी जान को  
दुश्मन के ख़ौफ़ से बचाए रख।   
 2 शरीरों के ख़ुफ़िया मश्वरे से,  
और बदकिरदारों के हँगामे से मुझे छिपा ले   
 3 जिन्होंने अपनी ज़बान तलवार की तरह तेज़ की,  
और तल्ख़ बातों के तीरों का निशाना लिया है;   
 4 ताकि उनको ख़ुफ़िया मक़ामों में कामिल आदमी पर चलाएँ;  
वह उनको अचानक उस पर चलाते हैं और डरते नहीं।   
 5 वह बुरे काम का मज़बूत इरादा करते हैं;  
वह फंदे लगाने की सलाह करते हैं,  
वह कहते हैं, “हम को कौन देखेगा?”   
 6 वह शरारतों को खोज खोज कर निकालते हैं;  
वह कहते हैं, “हमने खू़ब खोज लगाया।”  
उनमें से हर एक का बातिन और दिल 'अमीक है।   
 7 लेकिन ख़ुदा उन पर तीर चलाएगा;  
वह अचानक तीर से ज़ख़्मी हो जाएँगे।   
 8 और उन ही की ज़बान उनको तबाह करेगी;  
जितने उनको देखेंगे सब सिर हिलाएँगे।   
 9 और सब लोग डर जाएँगे,  
और ख़ुदा के काम का बयान करेंगे;  
और उसके तरीक़ — ए — 'अमल को बख़ूबी समझ लेंगे।   
 10 सादिक़ ख़ुदावन्द में ख़ुश होगा,  
और उस पर भरोसा करेगा,  
और जितने रास्तदिल हैं सब फ़ख़्र करेंगे।