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 1 ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ!  
ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! ख़ुदावन्द के सामने गाओ।   
 2 ख़ुदावन्द के सामने गाओ, उसके नाम को मुबारक कहो;  
रोज़ ब रोज़ उसकी नजात की बशारत दो।   
 3 क़ौमों में उसके जलाल का,  
सब लोगों में उसके 'अजायब का बयान करो।   
 4 क्यूँकि ख़ुदावन्द बुज़ु़र्ग़ और बहुत। सिताइश के लायक़ है;  
वह सब मा'बूदों से ज़्यादा ता'ज़ीम के लायक़ है।   
 5 इसलिए कि और क़ौमों के सब मा'बूद सिर्फ़ बुत हैं;  
लेकिन ख़ुदावन्द ने आसमानों को बनाया।   
 6 अज़मत और जलाल उसके सामने में हैं,  
क़ुदरत और जमाल उसके मक़दिस में।   
 7 ऐ क़ौमों के क़बीलो! ख़ुदावन्द की,  
ख़ुदावन्द ही की तम्जीद — ओ — ताज़ीम करो!   
 8 ख़ुदावन्द की ऐसी तम्जीद करो जो उसके नाम की शायान है;  
हदिया लाओ और उसकी बारगाहों में आओ!   
 9 पाक आराइश के साथ ख़ुदावन्द को सिज्दा करो;  
ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! उसके सामने काँपते रहो!   
 10 क़ौमों में 'ऐलान करो, “ख़ुदावन्द सल्तनत करता है!  
जहान क़ाईम है, और उसे जुम्बिश नहीं;  
वह रास्ती से कौमों की 'अदालत करेगा।”   
 11 आसमान ख़ुशी मनाए, और ज़मीन ख़ुश हो;  
समन्दर और उसकी मा'मूरी शोर मचाएँ;   
 12 मैदान और जो कुछ उसमें है, बाग़ — बाग़ हों;  
तब जंगल के सब दरख़्त खु़शी से गाने लगेंगे।   
 13 ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह आ रहा है;  
वह ज़मीन की 'अदालत करने को रहा है।  
वह सदाक़त से जहान की, और अपनी सच्चाई से क़ौमों की 'अदालत करेगा।