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 1 ऐ ख़ुदा, मेरा दिल क़ाईम है;  
मैं गाऊँगा और दिल से मदहसराई करूँगा।   
 2 ऐ बरबत और सितार जागो!  
मैं ख़ुद भी सुबह सवेरे जाग उठूँगा।   
 3 ऐ ख़ुदावन्द, मैं लोगों में तेरा शुक्र करूँगा,  
मैं उम्मतों में तेरी मदहसराई करूँगा।   
 4 क्यूँकि तेरी शफ़क़त आसमान से बुलन्द है,  
और तेरी सच्चाई आसमानों के बराबर है।   
 5 ऐ ख़ुदा, तू आसमानों पर सरफ़राज़ हो!  
और तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो   
 6 अपने दहने हाथ से बचा और हमें जवाब दे,  
ताकि तेरे महबूब बचाए जाएँ।   
 7 ख़ुदा ने अपनी पाकिज़गी में यह फ़रमाया है “मैं खु़शी करूँगा,  
मैं सिकम को तक़्सीम करूँगा और सुकात की वादी को बाटुँगा।   
 8 जिल'आद मेरा है, मनस्सी मेरा है;  
इफ़्राईम मेरे सिर का खू़द है; यहूदाह मेरा 'असा है।   
 9 मोआब मेरी चिलपची है, अदोम पर मैं जूता फेकूँगा,  
मैं फ़िलिस्तीन पर ललकारूँगा।”   
 10 मुझे उस फ़सीलदार शहर में कौन पहुँचाएगा?  
कौन मुझे अदोम तक ले गया है?   
 11 ऐ ख़ुदा, क्या तूने हमें रद्द नहीं कर दिया?  
ऐ ख़ुदा, तू हमारे लश्करों के साथ नहीं जाता।   
 12 मुख़ालिफ़ के मुक़ाबिले में हमारी मदद कर,  
क्यूँकि इंसानी मदद 'बेकार है।   
 13 ख़ुदा की बदौलत हम दिलावरी करेगी;  
क्यूँकि वही हमारे मुख़ालिफ़ों को पामाल करेगा।