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यहूदाह का बादशाह यहुआख़ज़
1 उम्मत ने यूसियाह के बेटे यहुआख़ज़ को बाप के तख़्त पर बिठा दिया। 2 यहुआख़ज़ 23 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया तीन माह था। 3 फिर मिसर के बादशाह ने उसे तख़्त से उतार दिया, और मुल्के-यहूदाह को तक़रीबन 3,400 किलोग्राम चाँदी और 34 किलोग्राम सोना ख़राज के तौर पर अदा करना पड़ा। 4 मिसर के बादशाह ने यहुआख़ज़ के सगे भाई इलियाक़ीम को यहूदाह और यरूशलम का नया बादशाह बनाकर उसका नाम यहूयक़ीम में बदल दिया। यहुआख़ज़ को वह क़ैद करके अपने साथ मिसर ले गया।
यहूदाह का बादशाह यहूयक़ीम
5 यहूयक़ीम 25 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में रहकर वह 11 साल तक हुकूमत करता रहा। उसका चाल-चलन रब उसके ख़ुदा को नापसंद था। 6 एक दिन बाबल के नबूकदनज़्ज़र ने यहूदाह पर हमला किया और यहूयक़ीम को पीतल की ज़ंजीरों में जकड़कर बाबल ले गया। 7 नबूकदनज़्ज़र रब के घर की कई क़ीमती चीज़ें भी छीनकर अपने साथ बाबल ले गया और वहाँ अपने मंदिर में रख दीं।
8 बाक़ी जो कुछ यहूयक़ीम की हुकूमत के दौरान हुआ वह ‘शाहाने-यहूदाहो-इसराईल’ की किताब में दर्ज है। वहाँ यह बयान किया गया है कि उसने कैसी घिनौनी हरकतें कीं और कि क्या कुछ उसके साथ हुआ। उसके बाद उसका बेटा यहूयाकीन तख़्तनशीन हुआ।
यहूयाकीन की हुकूमत
9 यहूयाकीन 18 साल की उम्र में बादशाह बना, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया तीन माह और दस दिन था। उसका चाल-चलन रब को नापसंद था। 10 बहार के मौसम में नबूकदनज़्ज़र बादशाह ने हुक्म दिया कि उसे गिरिफ़्तार करके बाबल ले जाया जाए। साथ साथ फ़ौजियों ने रब के घर की क़ीमती चीज़ें भी छीनकर बाबल पहुँचाईं। यहूयाकीन की जगह नबूकदनज़्ज़र ने यहूयाकीन के चचा सिदक़ियाह को यहूदाह और यरूशलम का बादशाह बना दिया।
सिदक़ियाह बादशाह और यरूशलम की तबाही
11 सिदक़ियाह 21 साल की उम्र में तख़्तनशीन हुआ, और यरूशलम में उस की हुकूमत का दौरानिया 11 साल था। 12 उसका चाल-चलन रब उसके ख़ुदा को नापसंद था। जब यरमियाह नबी ने उसे रब की तरफ़ से आगाह किया तो उसने अपने आपको नबी के सामने पस्त न किया। 13 सिदक़ियाह को अल्लाह की क़सम खाकर नबूकदनज़्ज़र बादशाह का वफ़ादार रहने का वादा करना पड़ा। तो भी वह कुछ देर के बाद सरकश हो गया। वह अड़ गया, और उसका दिल इतना सख़्त हो गया कि वह रब इसराईल के ख़ुदा की तरफ़ दुबारा रुजू करने के लिए तैयार नहीं था।
14 लेकिन यहूदाह के राहनुमाओं, इमामों और क़ौम की बेवफ़ाई भी बढ़ती गई। पड़ोसी क़ौमों के घिनौने रस्मो-रिवाज अपनाकर उन्होंने रब के घर को नापाक कर दिया, गो उसने यरूशलम में यह इमारत अपने लिए मख़सूस की थी।
15 बार बार रब उनके बापदादा का ख़ुदा अपने पैग़ंबरों को उनके पास भेजकर उन्हें समझाता रहा, क्योंकि उसे अपनी क़ौम और सुकूनतगाह पर तरस आता था। 16 लेकिन लोगों ने अल्लाह के पैग़ंबरों का मज़ाक़ उड़ाया, उनके पैग़ाम हक़ीर जाने और नबियों को लान-तान की। आख़िरकार रब का ग़ज़ब उन पर नाज़िल हुआ, और बचने का कोई रास्ता न रहा। 17 उसने बाबल के बादशाह नबूकदनज़्ज़र को उनके ख़िलाफ़ भेजा तो दुश्मन यहूदाह के जवानों को तलवार से क़त्ल करने के लिए मक़दिस में घुसने से भी न झिजके। किसी पर भी रहम न किया गया, ख़ाह जवान मर्द या जवान ख़ातून, ख़ाह बुज़ुर्ग या उम्ररसीदा हो। रब ने सबको नबूकदनज़्ज़र के हवाले कर दिया। 18 नबूकदनज़्ज़र ने अल्लाह के घर की तमाम चीज़ें छीन लीं, ख़ाह वह बड़ी थीं या छोटी। वह रब के घर, बादशाह और उसके आला अफ़सरों के तमाम ख़ज़ाने भी बाबल ले गया। 19 फ़ौजियों ने रब के घर और तमाम महलों को जलाकर यरूशलम की फ़सील को गिरा दिया। जितनी भी क़ीमती चीज़ें रह गई थीं वह तबाह हुईं। 20 और जो तलवार से बच गए थे उन्हें बाबल का बादशाह क़ैद करके अपने साथ बाबल ले गया। वहाँ उन्हें उस की और उस की औलाद की ख़िदमत करनी पड़ी। उनकी यह हालत उस वक़्त तक जारी रही जब तक फ़ारसी क़ौम की सलतनत शुरू न हुई।
21 यों वह कुछ पूरा हुआ जिसकी पेशगोई रब ने यरमियाह नबी की मारिफ़त की थी, क्योंकि ज़मीन को आख़िरकार सबत का वह आराम मिल गया जो बादशाहों ने उसे नहीं दिया था। जिस तरह नबी ने कहा था, अब ज़मीन 70 साल तक तबाह और वीरान रही।
जिलावतनी से वापसी
22 फ़ारस के बादशाह ख़ोरस की हुकूमत के पहले साल में रब ने वह कुछ पूरा होने दिया जिसकी पेशगोई उसने यरमियाह की मारिफ़त की थी। उसने ख़ोरस को ज़ैल का एलान करने की तहरीक दी। यह एलान ज़बानी और तहरीरी तौर पर पूरी बादशाही में किया गया।
23 “फ़ारस का बादशाह ख़ोरस फ़रमाता है, रब आसमान के ख़ुदा ने दुनिया के तमाम ममालिक मेरे हवाले कर दिए हैं। उसने मुझे यहूदाह के शहर यरूशलम में उसके लिए घर बनाने की ज़िम्मादारी दी है। आपमें से जितने उस की क़ौम के हैं यरूशलम के लिए रवाना हो जाएँ। रब आपका ख़ुदा आपके साथ हो।”