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पतरस और कुरनेलियुस
क़ैसरिया में एक रोमी अफ़सर *सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सर। रहता था जिसका नाम कुरनेलियुस था। वह उस पलटन के सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर था जो इतालवी कहलाती थी। कुरनेलियुस अपने पूरे घराने समेत दीनदार और ख़ुदातरस था। वह फ़ैयाज़ी से ख़ैरात देता और मुतवातिर दुआ में लगा रहता था। एक दिन उसने तीन बजे दोपहर के वक़्त रोया देखी। उसमें उसने साफ़ तौर पर अल्लाह का एक फ़रिश्ता देखा जो उसके पास आया और कहा, “कुरनेलियुस!”
वह घबरा गया और उसे ग़ौर से देखते हुए कहा, “मेरे आक़ा, फ़रमाएँ।”
फ़रिश्ते ने कहा, “तुम्हारी दुआओं और ख़ैरात की क़ुरबानी अल्लाह के हुज़ूर पहुँच गई है और मंज़ूर है। अब कुछ आदमी याफ़ा भेज दो। वहाँ एक आदमी बनाम शमौन है जो पतरस कहलाता है। उसे बुलाकर ले आओ। पतरस एक चमड़ा रंगनेवाले का मेहमान है जिसका नाम शमौन है। उसका घर समुंदर के क़रीब वाक़े है।”
ज्योंही फ़रिश्ता चला गया कुरनेलियुस ने दो नौकरों और अपने ख़िदमतगार फ़ौजियों में से एक ख़ुदातरस आदमी को बुलाया। सब कुछ सुनाकर उसने उन्हें याफ़ा भेज दिया।
अगले दिन पतरस दोपहर तक़रीबन बारह बजे दुआ करने के लिए छत पर चढ़ गया। उस वक़्त कुरनेलियुस के भेजे हुए आदमी याफ़ा शहर के क़रीब पहुँच गए थे। 10 पतरस को भूक लगी और वह कुछ खाना चाहता था। जब उसके लिए खाना तैयार किया जा रहा था तो वह वज्द की हालत में आ गया। 11 उसने देखा कि आसमान खुल गया है और एक चीज़ ज़मीन पर उतर रही है, कतान की बड़ी चादर जैसी जो अपने चार कोनों से नीचे उतारी जा रही है। 12 चादर में तमाम क़िस्म के जानवर हैं : चार पाँव रखनेवाले, रेंगनेवाले और परिंदे। 13 फिर एक आवाज़ उससे मुख़ातिब हुई, “उठ, पतरस। कुछ ज़बह करके खा!”
14 पतरस ने एतराज़ किया, “हरगिज़ नहीं ख़ुदावंद, मैंने कभी भी हराम या नापाक खाना नहीं खाया।”
15 लेकिन यह आवाज़ दुबारा उससे हमकलाम हुई, “जो कुछ अल्लाह ने पाक कर दिया है उसे नापाक क़रार न दे।” 16 यही कुछ तीन मरतबा हुआ, फिर चादर को अचानक आसमान पर वापस उठा लिया गया।
17 पतरस बड़ी उलझन में पड़ गया। वह अभी सोच रहा था कि इस रोया का क्या मतलब है तो कुरनेलियुस के भेजे हुए आदमी शमौन के घर का पता करके उसके गेट पर पहुँच गए। 18 आवाज़ देकर उन्होंने पूछा, “क्या शमौन जो पतरस कहलाता है आपके मेहमान हैं?”
19 पतरस अभी रोया पर ग़ौर कर ही रहा था कि रूहुल-क़ुद्स उससे हमकलाम हुआ, “शमौन, तीन मर्द तेरी तलाश में हैं। 20 उठ और छत से उतरकर उनके साथ चला जा। मत झिजकना, क्योंकि मैं ही ने उन्हें तेरे पास भेजा है।” 21 चुनाँचे पतरस उन आदमियों के पास गया और उनसे कहा, “मैं वही हूँ जिसे आप ढूँड रहे हैं। आप क्यों मेरे पास आए हैं?”
22 उन्होंने जवाब दिया, “हम सौ फ़ौजियों पर मुक़र्रर अफ़सर कुरनेलियुस के घर से आए हैं। वह इनसाफ़परवर और ख़ुदातरस आदमी हैं। पूरी यहूदी क़ौम इसकी तसदीक़ कर सकती है। एक मुक़द्दस फ़रिश्ते ने उन्हें हिदायत दी कि वह आपको अपने घर बुलाकर आपका पैग़ाम सुनें।” 23 यह सुनकर पतरस उन्हें अंदर ले गया और उनकी मेहमान-नवाज़ी की। अगले दिन वह उठकर उनके साथ रवाना हुआ। याफ़ा के कुछ भाई भी साथ गए। 24 एक दिन के बाद वह क़ैसरिया पहुँच गया। कुरनेलियुस उनके इंतज़ार में था। उसने अपने रिश्तेदारों और क़रीबी दोस्तों को भी अपने घर जमा कर रखा था। 25 जब पतरस घर में दाख़िल हुआ तो कुरनेलियुस ने उसके सामने गिरकर उसे सिजदा किया। 26 लेकिन पतरस ने उसे उठाकर कहा, “उठें। मैं भी इनसान ही हूँ।” 27 और उससे बातें करते करते वह अंदर गया और देखा कि बहुत-से लोग जमा हो गए हैं। 28 उसने उनसे कहा, “आप जानते हैं कि किसी यहूदी के लिए किसी ग़ैरयहूदी से रिफ़ाक़त रखना या उसके घर में जाना मना है। लेकिन अल्लाह ने मुझे दिखाया है कि मैं किसी को भी हराम या नापाक क़रार न दूँ। 29 इस वजह से जब मुझे बुलाया गया तो मैं एतराज़ किए बग़ैर चला आया। अब मुझे बता दीजिए कि आपने मुझे क्यों बुलाया है?”
30 कुरनेलियुस ने जवाब दिया, “चार दिन की बात है कि मैं इसी वक़्त दोपहर तीन बजे दुआ कर रहा था। अचानक एक आदमी मेरे सामने आ खड़ा हुआ। उसके कपड़े चमक रहे थे। 31 उसने कहा, ‘कुरनेलियुस, अल्लाह ने तुम्हारी दुआ सुन ली और तुम्हारी ख़ैरात का ख़याल किया है। 32 अब किसी को याफ़ा भेजकर शमौन को बुला लो जो पतरस कहलाता है। वह चमड़ा रंगनेवाले शमौन का मेहमान है। शमौन का घर समुंदर के क़रीब वाक़े है।’ 33 यह सुनते ही मैंने अपने लोगों को आपको बुलाने के लिए भेज दिया। अच्छा हुआ कि आप आ गए हैं। अब हम सब अल्लाह के हुज़ूर हाज़िर हैं ताकि वह कुछ सुनें जो रब ने आपको हमें बताने को कहा है।”
पतरस की तक़रीर
34 फिर पतरस बोल उठा, “अब मैं समझ गया हूँ कि अल्लाह वाक़ई जानिबदार नहीं, 35 बल्कि हर किसी को क़बूल करता है जो उसका ख़ौफ़ मानता और रास्त काम करता है। 36 आप अल्लाह की उस ख़ुशख़बरी से वाक़िफ़ हैं जो उसने इसराईलियों को भेजी, यह ख़ुशख़बरी कि ईसा मसीह के वसीले से सलामती आई है। ईसा मसीह सबका ख़ुदावंद है। 37 आपको वह कुछ मालूम है जो गलील से शुरू होकर यहूदिया के पूरे इलाक़े में हुआ यानी उस बपतिस्मे के बाद जिसकी मुनादी यहया ने की। 38 और आप जानते हैं कि अल्लाह ने ईसा नासरी को रूहुल-क़ुद्स और क़ुव्वत से मसह किया और कि इस पर उसने जगह जगह जाकर नेक काम किया और इबलीस के दबे हुए तमाम लोगों को शफ़ा दी, क्योंकि अल्लाह उसके साथ था। 39 जो कुछ भी उसने मुल्के-यहूद और यरूशलम में किया, उसके गवाह हम ख़ुद हैं। गो लोगों ने उसे लकड़ी पर लटकाकर क़त्ल कर दिया 40 लेकिन अल्लाह ने तीसरे दिन उसे मुरदों में से ज़िंदा किया और उसे लोगों पर ज़ाहिर किया। 41 वह पूरी क़ौम पर तो ज़ाहिर नहीं हुआ बल्कि हम पर जिनको अल्लाह ने पहले से चुन लिया था ताकि हम उसके गवाह हों। हमने उसके जी उठने के बाद उसके साथ खाने-पीने की रिफ़ाक़त भी रखी। 42 उस वक़्त उसने हमें हुक्म दिया कि मुनादी करके क़ौम को गवाही दो कि ईसा वही है जिसे अल्लाह ने ज़िंदों और मुरदों पर मुंसिफ़ मुक़र्रर किया है। 43 तमाम नबी उस की गवाही देते हैं कि जो भी उस पर ईमान लाए उसे उसके नाम के वसीले से गुनाहों की मुआफ़ी मिल जाएगी।”
रूहुल-क़ुद्स ग़ैरयहूदियों पर नाज़िल होता है
44 पतरस अभी यह बात कर ही रहा था कि तमाम सुननेवालों पर रूहुल-क़ूदस नाज़िल हुआ। 45 जो यहूदी ईमानदार पतरस के साथ आए थे वह हक्का-बक्का रह गए कि रूहुल-क़ुद्स की नेमत ग़ैरयहूदियों पर भी उंडेली गई है, 46 क्योंकि उन्होंने देखा कि वह ग़ैरज़बानें बोल रहे और अल्लाह की तमजीद कर रहे हैं। तब पतरस ने कहा, 47 “अब कौन इनको बपतिस्मा लेने से रोक सकता है? इन्हें तो हमारी तरह रूहुल-क़ुद्स हासिल हुआ है।” 48 और उसने हुक्म दिया कि उन्हें ईसा मसीह के नाम से बपतिस्मा दिया जाए। इसके बाद उन्होंने पतरस से गुज़ारिश की कि कुछ दिन हमारे पास ठहरें।

*10:1 सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सर।