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सोने के बुत की पूजा करने का हुक्म
1 एक दिन नबूकदनज़्ज़र ने सोने का मुजस्समा बनवाया। उस की ऊँचाई 90 फ़ुट और चौड़ाई 9 फ़ुट थी। उसने हुक्म दिया कि बुत को सूबा बाबल के मैदान बनाम दूरा में खड़ा किया जाए। 2 फिर उसने तमाम सूबेदारों, गवर्नरों, मुन्तज़िमों, मुशीरों, ख़ज़ानचियों, जजों, मजिस्ट्रेटों, और सूबों के दीगर तमाम बड़े बड़े सरकारी मुलाज़िमों को पैग़ाम भेजा कि मुजस्समे की मख़सूसियत के लिए आकर जमा हो जाओ। 3 चुनाँचे सब बुत की मख़सूसियत के लिए जमा हो गए। जब सब उसके सामने खड़े थे 4 तो शाही नक़ीब ने बुलंद आवाज़ से एलान किया,
“ऐ मुख़्तलिफ़ क़ौमों, उम्मतों और ज़बानों के लोगो, सुनो! बादशाह फ़रमाता है, 5 ‘ज्योंही नरसिंगा, शहनाई, संतूर, सरोद, ऊद, बीन और दीगर तमाम साज़ बजेंगे तो लाज़िम है कि सब औंधे मुँह होकर बादशाह के खड़े किए गए सोने के बुत को सिजदा करें। 6 जो भी सिजदा न करे उसे फ़ौरन भड़कती भट्टी में फेंका जाएगा’।”
7 चुनाँचे ज्योंही साज़ बजने लगे तो मुख़्तलिफ़ क़ौमों, उम्मतों और ज़बानों के तमाम लोग मुँह के बल होकर नबूकदनज़्ज़र के खड़े किए गए बुत को सिजदा करने लगे।
8 उस वक़्त कुछ नजूमी बादशाह के पास आकर यहूदियों पर इलज़ाम लगाने लगे। 9 वह बोले, “बादशाह सलामत अबद तक जीते रहें! 10 ऐ बादशाह, आपने फ़रमाया, ‘ज्योंही नरसिंगा, शहनाई, संतूर, सरोद, ऊद, बीन और दीगर तमाम साज़ बजेंगे तो लाज़िम है कि सब औंधे मुँह होकर बादशाह के खड़े किए गए इस सोने के बुत को सिजदा करें। 11 जो भी सिजदा न करे उसे भड़कती भट्टी में फेंका जाएगा।’ 12 लेकिन कुछ यहूदी आदमी हैं जो आपकी परवा ही नहीं करते, हालाँकि आपने उन्हें सूबा बाबल की इंतज़ामिया पर मुक़र्रर किया था। यह आदमी बनाम सद्रक, मीसक और अबद-नजू न आपके देवताओं की पूजा करते, न सोने के उस बुत की परस्तिश करते हैं जो आपने खड़ा किया है।”
13 यह सुनकर नबूकदनज़्ज़र आपे से बाहर हो गया। उसने सीधा सद्रक, मीसक और अबद-नजू को बुलाया। जब पहुँचे 14 तो बोला, “ऐ सद्रक, मीसक और अबद-नजू, क्या यह सहीह है कि न तुम मेरे देवताओं की पूजा करते, न मेरे खड़े किए गए मुजस्समे की परस्तिश करते हो? 15 मैं तुम्हें एक आख़िरी मौक़ा देता हूँ। साज़ दुबारा बजेंगे तो तुम्हें मुँह के बल होकर मेरे बनवाए हुए मुजस्समे को सिजदा करना है। अगर तुम ऐसा न करो तो तुम्हें सीधा भड़कती भट्टी में फेंका जाएगा। तब कौन-सा ख़ुदा तुम्हें मेरे हाथ से बचा सकेगा?”
16 सद्रक, मीसक और अबद-नजू ने जवाब दिया, “ऐ नबूकदनज़्ज़र, इस मामले में हमें अपना दिफ़ा करने की ज़रूरत नहीं है। 17 जिस ख़ुदा की ख़िदमत हम करते हैं वह हमें बचा सकता है, ख़ाह हमें भड़कती भट्टी में क्यों न फेंका जाए। ऐ बादशाह, वह हमें ज़रूर आपके हाथ से बचाएगा। 18 लेकिन अगर वह हमें न भी बचाए तो भी आपको मालूम हो कि न हम आपके देवताओं की पूजा करेंगे, न आपके खड़े किए गए सोने के मुजस्समे की परस्तिश करेंगे।”
19 यह सुनकर नबूकदनज़्ज़र आग-बगूला हो गया। सद्रक, मीसक और अबद-नजू के सामने उसका चेहरा बिगड़ गया और उसने हुक्म दिया कि भट्टी को मामूल की निसबत सात गुना ज़्यादा गरम किया जाए। 20 फिर उसने कहा कि बेहतरीन फ़ौजियों में से चंद एक सद्रक, मीसक और अबद-नजू को बाँधकर भड़कती भट्टी में फेंक दें। 21 तीनों को बाँधकर भड़कती भट्टी में फेंका गया। उनके चोग़े, पाजामे और टोपियाँ उतारी न गईं। 22 चूँकि बादशाह ने भट्टी को गरम करने पर ख़ास ज़ोर दिया था इसलिए आग इतनी तेज़ हुई कि जो फ़ौजी सद्रक, मीसक और अबद-नजू को लेकर भट्टी के मुँह तक चढ़ गए वह फ़ौरन नज़रे-आतिश हो गए। 23 उनके क़ैदी बँधी हुई हालत में शोलाज़न आग में गिर गए।
24 अचानक नबूकदनज़्ज़र बादशाह चौंक उठा। उसने उछलकर अपने मुशीरों से पूछा, “हमने तो तीन आदमियों को बाँधकर भट्टी में फेंकवाया कि नहीं?” उन्होंने जवाब दिया, “जी, ऐ बादशाह।” 25 वह बोला, “तो फिर यह क्या है? मुझे चार आदमी आग में इधर-उधर फिरते हुए नज़र आ रहे हैं। न वह बँधे हुए हैं, न उन्हें नुक़सान पहुँच रहा है। चौथा आदमी देवताओं का बेटा-सा लग रहा है।”
26 नबूकदनज़्ज़र जलती हुई भट्टी के मुँह के क़रीब गया और पुकारा, “ऐ सद्रक, मीसक और अबद-नजू, ऐ अल्लाह तआला के बंदो, निकल आओ! इधर आओ।” तब सद्रक, मीसक और अबद-नजू आग से निकल आए। 27 सूबेदार, गवर्नर, मुन्तज़िम और शाही मुशीर उनके गिर्द जमा हुए तो देखा कि आग ने उनके जिस्मों को नुक़सान नहीं पहुँचाया। बालों में से एक भी झुलस नहीं गया था, न उनके लिबास आग से मुतअस्सिर हुए थे। आग और धुएँ की बू तक नहीं थी।
28 तब नबूकदनज़्ज़र बोला, “सद्रक, मीसक और अबद-नजू के ख़ुदा की तमजीद हो जिसने अपने फ़रिश्ते को भेजकर अपने बंदों को बचाया। उन्होंने उस पर भरोसा रखकर बादशाह के हुक्म की नाफ़रमानी की। अपने ख़ुदा के सिवा किसी और की ख़िदमत या परस्तिश करने से पहले वह अपनी जान को देने के लिए तैयार थे। 29 चुनाँचे मेरा हुक्म सुनो! सद्रक, मीसक और अबद-नजू के ख़ुदा के ख़िलाफ़ कुफ़र बकना तमाम क़ौमों, उम्मतों और ज़बानों के अफ़राद के लिए सख़्त मना है। जो भी ऐसा करे उसे टुकड़े टुकड़े कर दिया जाएगा और उसके घर को कचरे का ढेर बनाया जाएगा। क्योंकि कोई भी देवता इस तरह नहीं बचा सकता।” 30 फिर बादशाह ने तीनों आदमियों को सूबा बाबल में सरफ़राज़ किया।