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हारून का बालापोश
बज़लियेल की हिदायत पर कारीगरों ने नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा लेकर मक़दिस में ख़िदमत के लिए लिबास बनाए। उन्होंने हारून के मुक़द्दस कपड़े उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ बनाए जो रब ने मूसा को दी थीं। उन्होंने इमामे-आज़म का बालापोश बनाने के लिए सोना, नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल किया। उन्होंने सोने को कूट कूटकर वर्क़ बनाया और फिर उसे काटकर धागे बनाए। जब नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से कपड़ा बनाया गया तो सोने का यह धागा महारत से कढ़ाई के काम में इस्तेमाल हुआ। उन्होंने बालापोश के लिए दो पट्टियाँ बनाईं और उन्हें बालापोश के कंधों पर रखकर सामने और पीछे से बालापोश के साथ लगाइं। पटका भी बनाया गया जिससे बालापोश को बाँधा जाता था। इसके लिए भी सोना, नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा और बारीक कतान इस्तेमाल हुआ। यह उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ जो रब ने मूसा को दी थीं। फिर उन्होंने अक़ीक़े-अहमर के दो पत्थर चुन लिए और उन्हें सोने के ख़ानों में जड़कर उन पर इसराईल के बारह बेटों के नाम कंदा किए। यह नाम जौहरों पर उस तरह कंदा किए गए जिस तरह मुहर कंदा की जाती है। उन्होंने पत्थरों को बालापोश की दो पट्टियों पर यों लगाया कि वह हारून के कंधों पर रब को इसराईलियों की याद दिलाते रहें। यह सब कुछ रब की दी गई हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ।
सीने का कीसा
इसके बाद उन्होंने सीने का कीसा बनाया। यह माहिर कारीगर का काम था और उन्हीं चीज़ों से बना जिनसे हारून का बालापोश भी बना था यानी सोने और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे और बारीक कतान से। जब कपड़े को एक दफ़ा तह किया गया तो कीसे की लंबाई और चौड़ाई नौ नौ इंच थी। 10 उन्होंने उस पर चार क़तारों में जवाहर जड़े। हर क़तार में तीन तीन जौहर थे। पहली क़तार में लाल, ज़बरजद और ज़ुमुर्रद। 11 दूसरी में फ़ीरोज़ा, संगे-लाजवर्द और हजरुल-क़मर। 12 तीसरी में ज़रक़ोन, अक़ीक़ और याक़ूते-अरग़वानी। 13 चौथी में पुखराज, अक़ीक़े-अहमर और यशब। हर जौहर सोने के ख़ाने में जड़ा हुआ था। 14 यह बारह जवाहर इसराईल के बारह क़बीलों की नुमाइंदगी करते थे। एक एक जौहर पर एक क़बीले का नाम कंदा किया गया, और यह नाम उस तरह कंदा किए गए जिस तरह मुहर कंदा की जाती है।
15 अब उन्होंने सीने के कीसे के लिए ख़ालिस सोने की दो ज़ंजीरें बनाईं जो डोरी की तरह गुंधी हुई थीं। 16 साथ साथ उन्होंने सोने के दो ख़ाने और दो कड़े भी बनाए। उन्होंने यह कड़े कीसे के ऊपर के दो कोनों पर लगाए। 17 फिर दोनों ज़ंजीरें उन दो कड़ों के साथ लगाई गईं। 18 उनके दूसरे सिरे बालापोश की कंधोंवाली पट्टियों के दो ख़ानों के साथ जोड़ दिए गए, फिर सामने की तरफ़ लगाए गए। 19 उन्होंने कीसे के निचले दो कोनों पर भी सोने के दो कड़े लगाए। वह अंदर, बालापोश की तरफ़ लगे थे। 20 अब उन्होंने दो और कड़े बनाकर बालापोश की कंधोंवाली पट्टियों पर लगाए। यह भी सामने की तरफ़ लगे थे लेकिन नीचे, बालापोश के पटके के ऊपर ही। 21 उन्होंने सीने के कीसे के निचले कड़े नीली डोरी से बालापोश के इन निचले कड़ों के साथ बाँधे। यों कीसा पटके के ऊपर अच्छी तरह सीने के साथ लगा रहा। यह उन हिदायात के ऐन मुताबिक़ हुआ जो रब ने मूसा को दी थीं।
हारून का चोग़ा
22 फिर कारीगरों ने चोग़ा बुना। वह पूरी तरह नीले धागे से बनाया गया। चोग़े को बालापोश से पहले पहनना था। 23 उसके गरेबान को बुने हुए कालर से मज़बूत किया गया ताकि वह न फटे। 24 उन्होंने नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे से अनार बनाकर उन्हें चोग़े के दामन में लगा दिया। 25 उनके दरमियान ख़ालिस सोने की घंटियाँ लगाई गईं। 26 दामन में अनार और घंटियाँ बारी बारी लगाई गईं। लाज़िम था कि हारून ख़िदमत करने के लिए हमेशा यह चोग़ा पहने। रब ने मूसा को यही हुक्म दिया था।
ख़िदमत के लिए दीगर लिबास
27 कारीगरों ने हारून और उसके बेटों के लिए बारीक कतान के ज़ेरजामे बनाए। यह बुननेवाले का काम था। 28 साथ साथ उन्होंने बारीक कतान की पगड़ियाँ और बारीक कतान के पाजामे बनाए। 29 कमरबंद को बारीक कतान और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे से बनाया गया। कढ़ाई करनेवालों ने इस पर काम किया। सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया जो रब ने मूसा को दी थीं।
30 उन्होंने मुक़द्दस ताज यानी ख़ालिस सोने की तख़्ती बनाई और उस पर यह अलफ़ाज़ कंदा किए, ‘रब के लिए मख़सूसो-मुक़द्दस।’ 31 फिर उन्होंने इसे नीली डोरी से पगड़ी के सामनेवाले हिस्से से लगा दिया। यह भी उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया जो रब ने मूसा को दी थीं।
सारा सामान मूसा को दिखाया जाता है
32 आख़िरकार मक़दिस का काम मुकम्मल हुआ। इसराईलियों ने सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया था जो रब ने मूसा को दी थीं। 33 वह मक़दिस की तमाम चीज़ें मूसा के पास ले आए यानी मुक़द्दस ख़ैमा और उसका सारा सामान, उस की हुकें, दीवारों के तख़्ते, शहतीर, सतून और पाए, 34 ख़ैमे पर मेंढों की सुर्ख़ रँगी हुई खालों का ग़िलाफ़ और तख़स की खालों का ग़िलाफ़, मुक़द्दसतरीन कमरे के दरवाज़े का परदा, 35 अहद का संदूक़ जिसमें शरीअत की तख़्तियाँ रखनी थीं, उसे उठाने की लकड़ियाँ और उसका ढकना, 36 मख़सूस रोटियों की मेज़, उसका सारा सामान और रोटियाँ, 37 ख़ालिस सोने का शमादान और उस पर रखने के चराग़ उसके सारे सामान समेत, शमादान के लिए तेल, 38 बख़ूर जलाने की सोने की क़ुरबानगाह, मसह का तेल, ख़ुशबूदार बख़ूर, मुक़द्दस ख़ैमे के दरवाज़े का परदा, 39 जानवरों को चढ़ाने की पीतल की क़ुरबानगाह, उसका पीतल का जंगला, उसे उठाने की लकड़ियाँ और बाक़ी सारा सामान, धोने का हौज़ और वह ढाँचा जिस पर हौज़ रखना था, 40 चारदीवारी के परदे उनके खंबों और पाइयों समेत, सहन के दरवाज़े का परदा, चारदीवारी के रस्से और मेख़ें, मुलाक़ात के ख़ैमे में ख़िदमत करने का बाक़ी सारा सामान 41 और मक़दिस में ख़िदमत करने के वह मुक़द्दस लिबास जो हारून और उसके बेटों को पहनने थे।
42 सब कुछ उन हिदायात के मुताबिक़ बनाया गया था जो रब ने मूसा को दी थीं। 43 मूसा ने तमाम चीज़ों का मुआयना किया और मालूम किया कि उन्होंने सब कुछ रब की हिदायात के मुताबिक़ बनाया था। तब उसने उन्हें बरकत दी।