^
पैदाइश
दुनिया की तख़लीक़ का पहला दिन : रौशनी
दूसरा दिन : आसमान
तीसरा दिन : ख़ुश्क ज़मीन और पौदे
चौथा दिन : सूरज, चाँद और सितारे
पाँचवाँ दिन : पानी और हवा के जानदार
छटा दिन : ज़मीन पर चलनेवाले जानवर और इनसान
सातवाँ दिन : आराम
आदम और हव्वा
गुनाह का आग़ाज़
क़ाबील और हाबील
पहला क़त्ल
क़ाबील का ख़ानदान
सेत और अनूस
आदम से नूह तक का नसबनामा
लोगों की ज़्यादतियाँ
बड़े सैलाब के लिए नूह की तैयारियाँ
सैलाब का अग़ाज़
सैलाब का इख़्तिताम
अल्लाह का नूह के साथ अहद
नूह के बेटे
नूह की औलाद
याफ़त की नसल
हाम की नसल
सिम की नसल
बाबल का बुर्ज
सिम से अब्राम तक का नसबनामा
अब्राम की बुलाहट
अब्राम मिसर में
अब्राम और लूत अलग हो जाते हैं
रब का अब्राम के साथ दुबारा वादा
अब्राम लूत को छुड़ाता है
मलिके-सिद्क़, सालिम का बादशाह
अब्राम के साथ रब का अहद
हाजिरा और इसमाईल
अहद का निशान : ख़तना
ममरे में इब्राहीम के तीन मेहमान
इब्राहीम सदूम के लिए मिन्नत करता है
सदूम और अमूरा की तबाही
लूत और उस की बेटियाँ
इब्राहीम और अबीमलिक
इसहाक़ की पैदाइश
इब्राहीम हाजिरा और इसमाईल को निकाल देता है
अबीमलिक के साथ अहद
इब्राहीम की आज़माइश
सारा की वफ़ात
इसहाक़ और रिबक़ा
इब्राहीम की मज़ीद औलाद
इब्राहीम की वफ़ात
इसमाईल की औलाद
एसौ और याक़ूब की पैदाइश
इसहाक़ और रिबक़ा जिरार में
इसहाक़ का फ़िलिस्तियों के साथ झगड़ा
अबीमलिक के साथ अहद
एसौ की अजनबी बीवियाँ
इसहाक़ याक़ूब को बरकत देता है
एसौ भी बरकत माँगता है
याक़ूब की हिजरत
एसौ एक और शादी करता है
बैतेल में याक़ूब का ख़ाब
याक़ूब लाबन के घर पहुँचता है
अपनी बीवियों के लिए याक़ूब की मेहनत-मशक़्क़त
याक़ूब के बच्चे
याक़ूब का लाबन के साथ सौदा
याक़ूब की हिजरत
लाबन याक़ूब का ताक़्क़ुब करता है
याक़ूब और लाबन के दरमियान अहद
याक़ूब एसौ से मिलने के लिए तैयार हो जाता है
याक़ूब की कुश्ती
याक़ूब एसौ से मिलता है
दीना की इसमतदरी
बैतेल में याक़ूब पर अल्लाह की बरकत
राख़िल की मौत
याक़ूब के बेटे
इसहाक़ की मौत
एसौ की औलाद
सईर की औलाद
अदोम के बादशाह
यूसुफ़ के ख़ाब
यूसुफ़ को बेचा जाता है
यहूदाह और तमर
यूसुफ़ और फ़ूतीफ़ार की बीवी
यूसुफ़ क़ैदख़ाने में
क़ैदियों के ख़ाब
बादशाह के ख़ाब
यूसुफ़ को मिसर पर हाकिम मुक़र्रर किया जाता है
यूसुफ़ के भाई मिसर में
यूसुफ़ के भाई कनान वापस जाते हैं
बिनयमीन के हमराह दूसरा सफ़र
गुमशुदा प्याला
यहूदाह बिनयमीन की सिफ़ारिश करता है
यूसुफ़ अपने आपको ज़ाहिर करता है
याक़ूब मिसर जाता है
याक़ूब और उसका ख़ानदान मिसर में
काल का सख़्त असर
याक़ूब की आख़िरी गुज़ारिश
याक़ूब इफ़राईम और मनस्सी को बरकत देता है
याक़ूब अपने बेटों को बरकत देता है
याक़ूब का इंतक़ाल
याक़ूब को दफ़न किया जाता है
यूसुफ़ अपने भाइयों को तसल्ली देता है
यूसुफ़ का इंतक़ाल