26
हमारा ख़ुदा मज़बूत चट्टान है
1 उस दिन मुल्के-यहूदाह में गीत गाया जाएगा,
“हमारा शहर मज़बूत है, क्योंकि हम अल्लाह की नजात देनेवाली चारदीवारी और पुश्तों से घिरे हुए हैं।
2 शहर के दरवाज़ों को खोलो ताकि रास्त क़ौम दाख़िल हो, वह क़ौम जो वफ़ादार रही है।
3 ऐ रब, जिसका इरादा मज़बूत है उसे तू महफ़ूज़ रखता है। उसे पूरी सलामती हासिल है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।
4 रब पर अबद तक एतमाद रखो! क्योंकि रब ख़ुदा अबदी चट्टान है।
5 वह बुलंदियों पर रहनेवालों को ज़ेर और ऊँचे शहर को नीचा करके ख़ाक में मिला देता है।
6 ज़रूरतमंद और पस्तहाल उसे पाँवों तले कुचल देते हैं।”
दुआ
7 ऐ अल्लाह, रास्तबाज़ की राह हमवार है, क्योंकि तू उसका रास्ता चलने के क़ाबिल बना देता है।
8 ऐ रब, हम तेरे इंतज़ार में रहते हैं, उस वक़्त भी जब तू हमारी अदालत करता है। हम तेरे नाम और तेरी तमजीद के आरज़ूमंद रहते हैं।
9 रात के वक़्त मेरी रूह तेरे लिए तड़पती, मेरा दिल तेरा तालिब रहता है। क्योंकि दुनिया के बाशिंदे उस वक़्त इनसाफ़ का मतलब सीखते हैं जब तू दुनिया की अदालत करता है।
10 अफ़सोस, जब बेदीन पर रहम किया जाता है तो वह इनसाफ़ का मतलब नहीं सीखता बल्कि इनसाफ़ के मुल्क में भी ग़लत काम करने से बाज़ नहीं रहता, वहाँ भी रब की अज़मत का लिहाज़ नहीं करता।
11 ऐ रब, गो तेरा हाथ उन्हें मारने के लिए उठा हुआ है तो भी वह ध्यान नहीं देते। लेकिन एक दिन उनकी आँखें खुल जाएँगी, और वह तेरी अपनी क़ौम के लिए ग़ैरत को देखकर शरमिंदा हो जाएंगे। तब तू अपनी भस्म करनेवाली आग उन पर नाज़िल करेगा।
12 ऐ रब, तू हमें अमनो-अमान मुहैया करता है बल्कि हमारी तमाम कामयाबियाँ तेरे ही हाथ से हासिल हुई हैं।
13 ऐ रब हमारे ख़ुदा, गो तेरे सिवा दीगर मालिक हम पर हुकूमत करते आए हैं तो भी हम तेरे ही फ़ज़ल से तेरे नाम को याद कर पाए। 14 अब यह लोग मर गए हैं और आइंदा कभी ज़िंदा नहीं होंगे, उनकी रूहें कूच कर गई हैं और आइंदा कभी वापस नहीं आएँगी। क्योंकि तूने उन्हें सज़ा देकर हलाक कर दिया, उनका नामो-निशान मिटा डाला है।
15 ऐ रब, तूने अपनी क़ौम को फ़रोग़ दिया है। तूने अपनी क़ौम को बड़ा बनाकर अपने जलाल का इज़हार किया है। तेरे हाथ से उस की सरहद्दें चारों तरफ़ बढ़ गई हैं।
16 ऐ रब, वह मुसीबत में फँसकर तुझे तलाश करने लगे, तेरी तादीब के बाइस मंत्र फूँकने लगे।
17 ऐ रब, तेरे हुज़ूर हम दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह तड़पते और चीख़ते-चिल्लाते रहे। 18 जनने का दर्द महसूस करके हम पेचो-ताब खा रहे थे। लेकिन अफ़सोस, हवा ही पैदा हुई। न हमने मुल्क को नजात दी, न दुनिया के नए बाशिंदे पैदा हुए।
19 लेकिन तेरे मुरदे दुबारा ज़िंदा होंगे, उनकी लाशें एक दिन जी उठेंगी। ऐ ख़ाक में बसनेवालो, जाग उठो और ख़ुशी के नारे लगाओ! क्योंकि तेरी ओस नूरों की शबनम है, और ज़मीन मुरदा रूहों को जन्म देगी।
रब इसराईल के दुश्मनों से बदला लेगा
20 ऐ मेरी क़ौम, जा और थोड़ी देर के लिए अपने कमरों में छुपकर कुंडी लगा ले। जब तक रब का ग़ज़ब ठंडा न हो वहाँ ठहरी रह। 21 क्योंकि देख, रब अपनी सुकूनतगाह से निकलने को है ताकि दुनिया के बाशिंदों को सज़ा दे। तब ज़मीन अपने आप पर बहाया हुआ ख़ून फ़ाश करेगी और अपने मक़तूलों को मज़ीद छुपाए नहीं रखेगी।