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यरमियाह मिसर न जाने का मशवरा देता है
1 यूहनान बिन क़रीह, यज़नियाह बिन हूसायाह और दीगर फ़ौजी अफ़सर बाक़ी तमाम लोगों के साथ छोटे से लेकर बड़े तक 2 यरमियाह नबी के पास आए और कहने लगे, “हमारी मिन्नत क़बूल करें और रब अपने ख़ुदा से हमारे लिए दुआ करें। आप ख़ुद देख सकते हैं कि गो हम पहले मुतअद्दिद लोग थे, लेकिन अब थोड़े ही रह गए हैं। 3 दुआ करें कि रब आपका ख़ुदा हमें दिखाए कि हम कहाँ जाएँ और क्या कुछ करें।”
4 यरमियाह ने जवाब दिया, “ठीक है, मैं दुआ में ज़रूर रब आपके ख़ुदा को आपकी गुज़ारिश पेश करूँगा। और जो भी जवाब रब दे वह मैं लफ़्ज़ बलफ़्ज़ आपको बता दूँगा। मैं आपको किसी भी बात से महरूम नहीं रखूँगा।” 5 उन्होंने कहा, “रब हमारा वफ़ादार और क़ाबिले-एतमाद गवाह है। अगर हम हर बात पर अमल न करें जो रब आपका ख़ुदा आपकी मारिफ़त हम पर नाज़िल करेगा तो वही हमारे ख़िलाफ़ गवाही दे। 6 ख़ाह उसकी हिदायत हमें अच्छी लगे या बुरी, हम रब अपने ख़ुदा की सुनेंगे जिसके पास हम आपको भेज रहे हैं ताकि हमारी सलामती हो। हम तो ज़रूर रब अपने ख़ुदा की सुनेंगे।”
7 दस दिन गुज़रने के बाद रब का कलाम यरमियाह पर नाज़िल हुआ। 8 उसने यूहनान, उसके साथी अफ़सरों और बाक़ी तमाम लोगों को छोटे से लेकर बड़े तक अपने पास बुलाकर 9 कहा, “आपने मुझे रब इसराईल के ख़ुदा के पास भेजा ताकि मैं आपकी गुज़ारिश उसके सामने लाऊँ। अब उसका फ़रमान सुनें! 10 ‘अगर तुम इस मुल्क में रहो तो मैं तुम्हें नहीं गिराऊँगा बल्कि तामीर करूँगा, तुम्हें जड़ से नहीं उखाड़ूँगा बल्कि पनीरी की तरह लगा दूँगा। क्योंकि मुझे उस मुसीबत पर अफ़सोस है जिसमें मैंने तुम्हें मुब्तला किया है। 11 इस वक़्त तुम शाहे-बाबल से डरते हो, लेकिन उससे ख़ौफ़ मत खाना!’ रब फ़रमाता है, ‘उससे दहशत न खाओ, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ और तुम्हारी मदद करके उसके हाथ से छुटकारा दूँगा। 12 मैं तुम पर रहम करूँगा, इसलिए वह भी तुम पर रहम करके तुम्हें तुम्हारे मुल्क में वापस आने देगा।
13 लेकिन अगर तुम रब अपने ख़ुदा की सुनने के लिए तैयार न हो बल्कि कहो कि हम इस मुल्क में नहीं रहेंगे 14 बल्कि मिसर जाएंगे जहाँ न जंग देखेंगे, न जंगी नरसिंगे की आवाज़ सुनेंगे और न भूके रहेंगे 15 तो रब का जवाब सुनो! ऐ यहूदाह के बचे हुए लोगो, रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि अगर तुम मिसर में जाकर वहाँ पनाह लेने पर तुले हुए हो 16 तो यक़ीन जानो कि जिस तलवार और काल से तुम डरते हो वह वहीं मिसर में तुम्हारा पीछा करता रहेगा। वहाँ जाकर तुम यक़ीनन मरोगे। 17 जितने भी मिसर जाकर वहाँ रहने पर तुले हुए हों वह सब तलवार, काल और मोहलक बीमारियों की ज़द में आकर मर जाएंगे। जिस मुसीबत में मैं उन्हें डाल दूँगा उससे कोई नहीं बचेगा।’
18 क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, ‘पहले मेरा सख़्त ग़ज़ब यरूशलम के बाशिंदों पर नाज़िल हुआ। अगर तुम मिसर जाओ तो मेरा ग़ज़ब तुम पर भी नाज़िल होगा। तुम्हें देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे, और तुम उनकी लान-तान और हिक़ारत का निशाना बनोगे। लानत करनेवाला अपने दुश्मनों के लिए तुम्हारे जैसा अंजाम चाहेगा। जहाँ तक तुम्हारे वतन का ताल्लुक़ है, तुम उसे आइंदा कभी नहीं देखोगे।’
19 ऐ यहूदाह के बचे हुए लोगो, अब रब आपसे हमकलाम हुआ है। उसका जवाब साफ़ है। मिसर को मत जाना! यह बात ख़ूब जान लें कि आज मैंने आपको आगाह कर दिया है। 20 आपने अपने आपको सख़्त धोका दिया है। क्योंकि आप ही ने मुझे रब अपने ख़ुदा के पास भेजकर कहा, ‘रब हमारे ख़ुदा से हमारे लिए दुआ करें। जो भी वह फ़रमाए वह हमें बताएँ तो हम उस पर अमल करेंगे।’ 21 आज मैंने यह किया है, लेकिन आप रब अपने ख़ुदा की सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। जो कुछ भी उसने मुझे आपको सुनाने को कहा है उस पर आप अमल नहीं करना चाहते। 22 चुनाँचे अब जान लें कि जहाँ आप जाकर पनाह लेना चाहते हैं वहाँ आप तलवार, काल और मोहलक बीमारियों की ज़द में आकर हलाक हो जाएंगे।”