22
जीवणेन पाणीन नदी
1 तत्यार हयु मारे बील्लोरेन तसी चमकतेली, जीवनेन पाणीन नदी देखाड़्यु, जी भगवान ने गाडरान राजगादी सी नीकळीन, 2 तीना सहरेन सड़केन ईचमां उहतेली। नदीन ईनी धड़े ने पली धड़े जीवनेन झाड़को हतलो; तेरेमां बारे भातेन फळ लागतेला, ने चे हर महने फळतेला; ने तीना झाड़कान पान्टा सी जाती-जातीन माणसे वारु हवतेला। 3 तत्यार सराप नी हवसे,
ने भगवान ने गाडरान राजगादी तीना सहर मां रवसे, ने तेरा पावर्या तेरी चाकरी करसे। 4 चे तेरो मुंहडो देखसे, ने तेरो नाव तींद्रा नींडाळा पर लिखलो रवसे। 5 ने रात नी पड़से, ने तीनुक दिवान ने दाहड़ान वीजाळान जरुवत नी पड़से, काहाकी मालीक भगवान तीनुक वीजाळो देसे, ने चे जलम राज करसे।
ईसु मसी छाटुस पछु आवण्यु छे
6 तत्यार हयु मारे सी कह्यु, “जी वाते भुरसा वाळा ने छाचली छे। ने मालीक, जु भगवानेन अघी सी आवणे वाळी वात बताड़न्यान आत्मान भगवान छे, आपसा सरग वाळा काहवाळ्या काजे असु करीन मकेल्लु की आपसा पावर्या काजे जी वाते, तीनुक मामार पुरो हवणु जरुड़ी छे देखाड़े।”
7 “ने सामळु, मे मामार आवणेवाळु छे; वारु छे हया, जे ईनी कितापेन हवणे वाळी वात माने।”
8 मे हयुत युहन्नु छे, जु जी वात सामळे, ने देखतेलु। ने जत्यार मे सामळ्यु ने देख्यु, ती जु सरग वाळु काहवाळ्यु मेसेक जी वात देखाड़तेलु, मे तेरे पाये पड़ीन आंधणे करीन हीट पड़्यु। 9 बाकुन मेसेक कह्यु, “देख, असु मां करे; काहाकी मे तारु ने तारा भाय अघी सी आवणे वाळी वात बताड़न्या ने ईनी कितापेन वातेक मान्नेवाळान सगु पावर्यु छे, भगवानेन ने बड़ाय कर।” 10 अळी हयु, मारे सी कह्यु, “ईनी कितापेन हवणे वाळीन वातेक बंद मां करे; काहाकी ईनी वातेक हवणेन टेम धड़ेत छे। 11 जु बी कुहराय करे, हयु कुहरायत करतु रहे; ने जु सरमेन काम करे, चु सरमेन कामुत करतु रहे; ने जु धरमी छे, हयु धरमी बणीन रहे; ने जु चुखलु छे, चु चुखलु बणीन रहे।”
12 देख, मे मामार आवणेवाळु छे; ने हर एक कामेन अनसारे बदलु देणेन फळ मारे धड़े छे। 13 “मे अल्फा ने ओमेगा, पेहलु ने आकरी, सुरुवात ने खत्तम छे।”
14 वारु चे छे, जे आपसा पुथल्या धुय लेय, काहाकी तीनुक जीवनेन झाड़कान धड़े आवणेन हक जड़से, ने चे फाटके मायन हय्न सहर मां भरायसे। 15 बाकुन कुतरा, बड़वाय करन्या, छीनाळा, हत्यारा, मुरती पुजा करन्या, हर एक झुट काजे परम करने वाळा ने झुट पर चालनेवाळा बाहर रवसे।
16 “मे ईसु मारा सरग वाळा काहवाळ्या काजे असु करीन मकल्यु, की तुंद्रे अगळ मंडळ्यान बारामां ईनु वातेन गवाय देय। मे दावुदेन जड़ ने अवल्यात, ने वीजाळान चमक्तु तारु छे।”
17 ने आत्मा, ने लाडी दुयु कहें, “आव!”
ने सामळनेवाळु बी कहें, “आव!”
ने जु तीसलु हय, हयु आवे ने जु काहनुक चाहे चु जीवनेन पाणी फुकट मां लेय।
18 मे युहन्नु हर एक काजे, जु ईनी कितापेन हवणे वाळीन वाते सामळे, गवाय दम; कदी काहनुक माणुस ईनु वाते मां काहींग बड़ावे ती भगवान तीनु गरा काजे ज ईनी किताप मां लिखलो छे, तीनु पर बड़ावसे। 19 ने कदी काहनुक ईनी हवणे वाळीन कितापेन वाते मां सी नीकाळसे, ती भगवान तीना जीवनेन झाड़को ने चुखलो सहर मां सी, तेरी खुलीन वात ईनी किताप मां छे, तेरु भाग नीकाळ देसे।
20 जु ईनी वातेन गवाय देय, हयु असो कहें,
“हव, मे मामार आवणेवाळु छे।” आमीन। ए मालीक ईसु आव!
21 मालीक ईसुन गीण-दया चुखला माणसे साते रहे। आमीन।