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यरुशलेम की मंडली, लिये दान
अब उ चन्दा का बारे मे जो पवित्र इन्सानहोन का लिये कर्यो जास हइ, जसो मेने गलातिया कि मंडलीहोन खे दी, ओसो ही तुम भी करणु. हप्ता का पयलो दिन तुम मे से हर एक अपनी कमय खे जसो कुछ अपना पास रखी छोड बोल्यो, कि मरा आना पर पैसा जमा नी करणु पडन को. अरु जब मी आयु का ते समज्हे जिनको तुम चाह्ये उनका मी चिट्ठिहोन दिखे भेजी दियु कि यरुशलेम पहुचय दे. अरु अगर मरो भी जानो अच्छो हुयो, ते वे मरा साथ जाये.
जत्रा को कार्यक्रम
अरु मी मकिदुनी हुइ, तुमारा पास आयु, क्युकि मेखे मकिदुनी हुइ, जानो ही हइ. पर सम्भव हइ कि तुमारा ह्या ही ठैइरी जाह्यु अरु शरद ऋतु तुमारा ह्या काटी खे तब जो तरफ मरो जानो हुये खे वय तरफ तुम मेखे पहुच्ये दे. क्युकि मी अब रस्ता मे तुम से मीलन करणो नी चाहु. पर मेखे आस हइ, कि अगर प्रभु चाह्ये ते कुछ टेम तक तुमारा साथ र्‍हियु.
पर मी पिन्तेकुस्त तक इफिसुस मे र्‍हियु. क्युकि मरा लिये एक बडो अरु उपयोगी दरवाजा खुल्या हइ अरु विरोधी भोत सा हइ.
10 अगर तीमुथियुस अय जाये, ते देखनु कि उ तुमारा ह्या हिम्मत से र्हिये. क्युकि उ मरो जसो प्रभु को काम करस हइ. 11 येका लिये कोय ओखे बेकार नी जान्येका पर ओखे कुशल से उ तरफ पहुच्ये देनु कि मरा पास अय जाये. क्युकि मी ओकी रस्ता देखते र्हेस हइ कि उ भैइहोन अरु बहीन का साथ आये.
12 अरु भैइ अरु बहीन अपुल्लोस से मेने भोत प्रार्थना करी हइ कि तुमारा पास भैइहोन अरु बहीन, साथ जाये. पर ओने वा टेम जानन की कुछ भी इच्छा नी करी, पर जब अवसर पायेका तब अय जाये.
आखरी आदेश
13 जागते र्‍हेनु, विश्वास मे स्थिर र्‍हेनु, शुर बन्नु, ताकतवर होनु. 14 जो कुछ करस हइ प्रेम से करणु.
15 हे भैइहोन अरु बहीन, तुम स्तिफनास का घराना का जानस हइ, कि वे अखाया को पैयले फल हइ, अरु पवित्र इन्सानहोन की का लिये तैयार र्हेस हइ. 16 येकालिये मी तुम से प्रार्थना करुस हइ कि असा अधीन र्हेनु, क्युकी हर एक का जो यो काम मे मेहनती अरु सहकर्मी हइ.
17 अरु मी स्तिफनास अरु फूरतूनातुस अरु अखइकुस का आना से खुश हइ, क्युकि उनने तुमारी घटी, पूरी करी हइ. 18 अरु उनने मरी अरु तुम्हारी आत्मा खे चैन दियो हइ येका लिये असा खे मान्नु.
19 आसिया की मंडलीहोन का तरफ से तुम खे नमस्कार. अक्विला अरु प्रिस्किल्ला का अरु उनका घर की मंडली खे भी तुम खे प्रभु मे भोत भोत नमस्कार. 20 सब भैइहोन अरु बहीन को तुम खे नमस्कार
पवित्र चुम्मा से आपस मे नमस्कार करणु.
21 मी पौलुस खे अपना हात को लिख्या हुयो नमस्कार अगर कोय प्रभु से प्रेम नी रख्ये ते उ श्रापित हुये.
22 हमारो प्रभु मे प्रेम नी रखे ते अभिश्राप मील्हे! हे प्रभु से आन आलो हइ.
23 प्रभु यीशु मसीह को अनुग्रह तुम पर होतो र्हिये.
24 मरो प्रेम मसीह यीशु मे तुम सब का साथ र्‍हिये आमीन.