फिलीपियो खे नाम पौलुस प्रेरित कि चिठ्ठी
फिलीपियो का नाम पौलुस प्रेरित कि चिठ्ठी
पैछान
जेल से लिखी गइ, फिलिप्पिहोन मे कुछ सब से उत्साहजनक रस्ता हइ जहा उ मसीह, बारे मे अपनो उत्साह, बारे मे बात करस हइ, बीच मे ओकी खुशी, अरु मरन, सामने ओको आत्मविश्वास दिखास. फिलिप्पीहोन को लेखक कोन आय? लेखक खुद हइ पौलुस 1:13 को रुप मे पहचान देस हइ. हालाकी कविता 1 मे पौलुस, संग ती तीमुथियुस भी हइ उल्लेख करस हइ, पर उ फक्त बधाइ देनआला, रुप मे हइ. बाकी को भागहोन मे पौलुस पैयले व्यक्ति एक वचन को उपयोग करस हइ, साफ रुप से हिसारो देस हइ कि वा चिठ्ठी को लेखक आय. फिलिफ्पियहोन कब लिखी गयो हइ? पौलुस जेल मे हइ. सम्राट कि सेवक अरु ओको रक्षक ओका संग या ओकी मंडली को सदस्य हइ. उनको मरनो तय हइ. इन तथ्यहोन, देखस हुये हमखे यो तय करण को जरुरत हइ कि पौलुस खा जेल मे हइ खानी कि पौलुस तीन अलग-अलग शहरहोन जेल मे हइ. उ शहर कैसरिया, इफियुस अरु रोम ही आय. उपर दिया मेद्दा मे रोम सब, प्रशंसनीय स्पष्टीकरण दी रोस हइ असो दिखय देस हइ. या चिठ्ठी रोम मे ओका दो साल, मदत मे दियो गयो होनू. प्रेरित 16
फिलिप्पीहोन मे खानी लिखी गइ हइ? पौलुस ने कही करण से फिलिप्पीहोन, लिखी फिलिप्पीहोन, यो बताव लायो कि ओकी वर्तमान परेशानी खुशी, करणो हइ 4:10-19. एकता को आग्रह करणो लायो. मंडली, कतरा, बारे मे एक चेतावनी जारी करस, उनका यो सुचित करणो लिये कि इपफ्रुदीतुस अब अच्छी तरह से हइ , उनको समर्थन को लिये उनका धन्यवाद देन लिये. अरु बताव लायो ती तीमुथियुस, उनका बाहेर खान की उनकी इच्छा को वजह 2:19-30.
रुप रेखा
1. उद्घाटन नमस्कार अरु धन्यवाद 1:1-2
2. पौलुस को रावास पौलुस अरु सुसमाचार को लिये संभावना 1:3—2:30
3. मंडली मे विनम्रता अरु एकता को लिये अपील 3:1—4:9
4. फिलिप्पी कि जत्राहोन भविष्य कि योझना 4:10-23
1
मसीह यीशु को दास पौलुस अरु ती तीमुथियुस का तरफ से सब पवित्र दुन्या का नाम जो मसीह यीशु मे एक हुइ, फिलिप्पी मे र्हेस हइ, मुखियो अरु सेवकहोन समेत.प्रेरित 16:12
हमारो बाप परमेश्वर अरु प्रभु यीशु मसीह का तरफ से तुमखे अनुग्रह अरु शांती मीलती र्‍हिये.
पौलुस की प्रार्थना अरु धन्यवाद
मी जब जब तुमखे याद करुस हइ, तब तब अपना परमेश्वर को धन्यवाद करस हइ. अरु जब कभी तुम सब का लिये प्रार्थना करुस हइ, ते सदा का साथ प्रार्थना करुस हइ. येका लिये कि तुम पैयला दिन से लिखे आज तक सुसमाचार, फैलाना मे मरा हिस्सेदार र्‍हिया हइ. मेखे या बात को भरोसो हइ कि जेने तुम मे अच्छोकाम सुरु कर्यो हइ,उ ओने यीशु मसीह का दिन तक पुरो कर्ये. अच्छो हइ कि मी तुम सब का लिये असो हि बिचार कर्यू, क्युकि तुम मरा मन मे अयखे बस्यो हइ, अरु मरी बन्धन मे अरु सुसमाचार का लिये उत्तर अरु प्रमाण देना मे तुम सब मरा सात अनुग्रह मे सातीदार हुये. येमे परमेश्वर मरो गवा हइ कि मी मसीह यीशु कि करुना प्रेम से करीखे तुम सब की लालसा करुस हइ.
मी या प्रार्थना करुस हइ कि तुम्हारो प्रेम ज्ञान अरु सब प्रकार खे विवेक सहित अरु भी बडतो जाए, 10 ह्या तक कि तुम अच्छा से अच्छा बातहोन खे प्रिय जाननु कि अरु मसीह को दिन तक समज्हे सच्चा बन्या र्हेनु अरु ठोकर नी खानू. 11 अरु उ धार्मीकता को फल से जे यीशु मसीह, वजेसे होस हइ, भरपुर होता जानु जेका से परमेश्वर की महिमा अरु स्तुती होती र्‍हिये.
मसीह हि जिवन
12 हे मसीह भैइ, मी चाउस हइ कि तुम यो जानी ले कि मरा पर जे बीत्यो हइ, ओकासे सुसमाचार ही की बढती हुइ हइ. 13 ह्या तक कि कैसर का राजभवन कि पुरी पलटन अरु बाकी सब दुन्याहोन मे यो प्रगट हुइ गया हइ कि मी मसीह, लिये बन्धन हइ.प्रेरित 28:30 14 अरु प्रभु मे जे मसीह भैइ हइ, उन मे से जादा मरा कैद होनाकरण, हिम्मत बांधी खे परमेश्वर को वचन बेधडक सुनान को अरु भी हिम्मत करुस हइ. 15 कुछ जलन अरु झगडा से मसीह को प्रचार करस हइ अरु कुछ भली इच्छा से. 16 कोय एक ते या जानी, कि मी सुसमाचार का लिये जवाब देन को ठैरायो गयो हइ, प्रेम से प्रचार करस हइ. 17 अरु कोय एक ते सीधा से नी पर विरोध से मसीह की कथा सुनास हइ, यो सोची खे कि मरी बन्धन खे मरा लिये दुख पइदा करणु.
18 ते का हुयो? फक्त यो कि हर प्रकार से, चाउ बहानो से चाउ सच्ची से मसीह की कथा सुनाइ जास हइ अरु मी येमे से खुश हइ अरु, खुश र्‍हियु भी.
जिंदो र्‍हेनु मसीह हइ
19 क्युकि मी जानुस हइ कि तुम्हारी प्रार्थना बिंनती का द्वारा, अरु यीशु मसीह की आत्मा को दान का द्वारा येको प्रतीफल मरो उध्दार हुये. 20 मी तो यो लालुच अरु आस रखस हइ कि मी कोय बात मे लज्जित नी हुयु, पर जसो मरा मजबुत हिम्मत का वजेसे मसीह की बड्यी मरा आंग का द्वारा सदा होती र्र्‍हिये हइ वसी ही अब भी हुये, चाउ मी जिंदो र्‍हियु या मरी जाउ. 21 क्युकि मरा लिये जिन्दो र्‍हेनु मसीह हइ, अरु मरी जानु लाभदायक हइ. 22 पर अगर आंग मे जिन्दो र्‍हेनु ही मरो काम का लिये लाभदायक हइ ते मी नी जानु कि कोखे चुनू. 23 क्युकि मी दो, बीच आधा मे लटक्यो हइ. जी तो चास हइ कि कुच करी खे मसीह का पास जैइ खे र्‍हियु, क्युकि यो भोत ही अच्छो हइ. 24 पन आंग मे र्‍हेनु तुम्हारा करण अरु जरुरी हइ. 25 येका लिये कि मेखे येको भरोसो हइ आखरी मी जानुस हइ कि मी जिंदो र्‍हेनु, क्युकी तुम सब का साथ र्‍हेनु जेकासे तुम विश्वास मे मजबुत होते जानु अरु ओका मे खुश र्‍हेनु. 26 अरु घमण्ड तुम मरा बारे मे करस हइ, उ मरा फिर तुम्हारा पास आना से मसीह यीशु मे अरु भी बडी जाए.
27 फक्त इत्तो करणु कि तुम्हरो चाल-चलन मसीह का मन से सुसमाचार को योग्य हुये कि चाउ मी अय खे तुमखे देख्यु, चाउ न भी आयु, तुम्हारा बारे मे योय सुन्यो कि तुम एक आत्मा मे स्थिर हुये खे अरु एक चित्त हुइ, सुसमाचार को विश्वास का लिये मेहनत करता र्‍हेस हइ. 28 अरु कोय बात मे विरोधिहोन से डर नी खाये. यो उनका लिये अविनाश को स्पष्ट नीशानी हइ, पन तुम्हारा लिये उध्दार को अरु यो परमेश्वर का तरफ से हइ. 29 क्युकि मसीह करण तुम पर यो अनुग्रह हुयो कि न फक्त ओ पर विश्वास करणु पर ओका लिये दुख भी उठानु. 30 अरु तुमखे ओसो ही करणो हइ, जसो तुम ने मेखे करते देख्यो हइ अरु अब भी सुनस हइ कि मी ओसो हि करुस हइ.प्रेरित 16:19-40

1:1 प्रेरित 16:12

1:13 प्रेरित 28:30

1:30 प्रेरित 16:19-40