12
1 एफ्राईम हवा को अपना भोजन बनाता है;
वह सारा दिन पूर्वी वायु का पीछा करता है
और अपने झूठ और हिंसा को बढ़ाता रहता है.
वह अश्शूर देश से संधि करता है
और मिस्र देश को जैतून का तेल भेजता है.
2 यहूदिया के विरुद्ध भी याहवेह का आरोप है;
वह याकोब*याकोब अर्थ वह एड़ी पकड़ता है अर्थात् वह धोखा देता है को उसके चालचलन के अनुसार दंड देंगे
और उसके कार्यों के अनुरूप उसको बदला देंगे.
3 जब याकोब ने अपने मां के कोख से ही अपने भाई की एड़ी जकड़ ली थी;
एक मनुष्य के रूप में उसने परमेश्वर से संघर्ष किया.
4 उसने स्वर्गदूत से संघर्ष किया और उस पर प्रबल हुआ;
वह रोया और उससे कृपादृष्टि के लिये विनती की.
बेथेल में वह परमेश्वर से मिला
और वहां उसने उनसे बातें की—
5 याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर,
याहवेह उनका नाम है!
6 पर अवश्य है कि तुम अपने परमेश्वर के पास लौटो;
प्रेम और न्याय के काम में बने रहो,
और हमेशा अपने परमेश्वर पर निर्भर रहो.
7 व्यापारी गलत नाप का उपयोग करता है
और छल करना उसको अच्छा लगता है,
8 एफ्राईम घमंड करता है,
“मैं बहुत धनवान हूं; मैं धनी हो गया हूं.
मेरी सारी संपत्ति सहित वे मुझमें
कोई अपराध या पाप नहीं पाएंगे.”
9 “जब से तुम मिस्र देश से निकलकर आये,
मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं;
मैं फिर तुम्हें तंबुओं में निवास कराऊंगा,
जैसे कि तुम्हारे ठहराए त्योहार के दिनों में हुआ करता था.
10 मैंने भविष्यवक्ताओं से बात किया,
उन्हें कई दर्शन दिखाये
और उनके माध्यम से अनेक दृष्टांत बताये.”
11 क्या गिलआद दुष्ट है?
इसके लोग बेकार हैं!
क्या वे गिलगाल में बैलों का बलिदान करते हैं?
उनकी वेदियां जोते गये खेत में
पत्थरों के ढेर के समान होंगी.
12 याकोब तो अराम देश को भाग गया;
इस्राएल ने एक पत्नी पाने के लिये सेवा की,
और उसका दाम चुकाने के लिये उसने भेड़ें चराई.
13 याहवेह ने मिस्र से इस्राएल को निकालने के लिये एक भविष्यवक्ता का उपयोग किया,
एक भविष्यवक्ता के द्वारा उसने उसका ध्यान रखा.
14 पर एफ्राईम ने याहवेह के क्रोध को बहुत भड़काया है;
उसका प्रभु उसके द्वारा किए गये खून का दोष उसी पर रहने देगा
और उसके अनादर के लिये उसको बदला चुकाएगा.