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याहवेह का पर्वत 
  1 कि अंत के दिनों  
में वह पर्वत और पहाड़  
जिस पर याहवेह का भवन है;  
उसे दृढ़ और ऊंचा किया जायेगा,  
और सब जाति के लोग बहती हुई नदी के समान उस ओर आएंगे.   
 2 और जाति के लोग कहेंगे,  
“आओ, हम याहवेह के पर्वत,  
याकोब के परमेश्वर के भवन को चलें.  
कि वह हमें अपने नियम सिखाएं,  
और हम उनके मार्गों पर चलें.”  
क्योंकि ज़ियोन से व्यवस्था निकलेगी,  
और येरूशलेम से याहवेह का वचन आएगा.   
 3 परमेश्वर जनताओं के बीच न्याय करेंगे  
और लोगों की परेशानियां दूर करेंगे.  
तब वे अपनी तलवारों को पीट-पीटकर हल के फाल  
तथा अपने भालों को हंसिया बना लेंगे.  
एक देश दूसरे के विरुद्ध तलवार नहीं उठायेगा,  
तथा उन्हें फिर कभी लड़ने के लिए तैयार नहीं किया जाएगा.   
 4 हर एक जन अपनी ही अंगूर की लता  
और अपने ही अंजीर के वृक्ष के नीचे बैठेगा,  
और उन्हें कोई नहीं डराएगा,  
क्योंकि सर्वशक्तिमान याहवेह ने कहा है.   
 5 सब जातियां अपने-अपने  
देवताओं का नाम लेकर चलें तो चलें,  
पर हम सदा-सर्वदा याहवेह  
अपने परमेश्वर का नाम लेकर चलेंगे.   
याहवेह की योजना 
  6 “उस दिन,” यह याहवेह की घोषणा है,  
“मैं लंगड़ों को इकट्ठा करूंगा;  
मैं बंधुवा लोगों को  
और उन लोगों को भी इकट्ठा करूंगा जिन्हें मैंने दुःख दिया है.   
 7 मैं लंगड़ों को अपना बचा हुआ भाग,  
और भगाये हुओं को एक मजबूत जाति बनाऊंगा.  
तब उस समय से लेकर सदा-सर्वदा तक  
याहवेह ज़ियोन पर्वत से उन पर शासन करते रहेंगे.   
 8 जहां तक तुम्हारा सवाल है, हे झुंड की चौकसी के मचान,  
हे ज़ियोन की पुत्री के सुरक्षा गढ़,  
तुम्हें तुम्हारे पहले का राज्य दे दिया जाएगा;  
येरूशलेम की पुत्री को राजपद दिया जाएगा.”   
 9 तुम उच्च स्वर में क्यों चिल्ला रही हो,  
क्या तुम्हारा कोई राजा नहीं है?  
क्या तुम्हारा शासन करनेवाला नाश हो गया है,  
कि तुम जच्चा स्त्री के समान दर्द से छटपटा रही हो?   
 10 हे ज़ियोन की बेटी, जच्चा स्त्री की तरह  
दर्द से छटपटाओ,  
क्योंकि अब तुम्हें शहर छोड़कर  
खुले मैदान में डेरा डालना ज़रूरी है.  
तुम बाबेल जाओगी;  
और तुम बचाई जाओगी.  
वहां याहवेह तुम्हें  
तुम्हारे शत्रुओं के हाथ से छुड़ाएंगे.   
 11 पर अब तो तुम्हारे विरुद्ध में  
बहुत से राष्ट्र इकट्ठे हुए हैं.  
वे कहते हैं, “उसे अशुद्ध होने दो,  
ज़ियोन की दुर्गति हमारे आनंद का विषय हो!”   
 12 पर वे याहवेह के विचारों को  
नहीं जानते हैं;  
वे उसकी उस योजना को नहीं समझते,  
कि उसने उन्हें पूलियों के समान खलिहान में इकट्ठा किया है.   
 13 “हे ज़ियोन की बेटी, उठ और दांवनी कर,  
क्योंकि मैं तुम्हें लोहे के सींग दूंगा;  
मैं तुम्हें पीतल के खुर दूंगा,  
और तुम बहुत सी जातियों को टुकड़े-टुकड़े कर दोगी.”  
तुम उनकी लूटी गई चीज़ें याहवेह को,  
और उनकी संपत्ति सारे पृथ्वी के प्रभु को अर्पित करोगी.