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 1 अपने बिछौने पर मैं हर रात उसका इंतजार करती रही,  
जो मुझे प्राणों से भी प्रिय है;  
मैं उसे खोजती रही, मगर मेरी खोज बेकार रही.   
 2 अब ठीक तो यही होगा कि मैं उठूं और नगर में जाकर खोज करूं,  
गलियों में और चौकों में;  
यह ज़रूरी है कि मैं उसे खोजूं, जो मेरे लिए प्राणों से भी अधिक प्रिय है.  
मैं खोजती रही, किंतु मेरी खोज बेकार ही रही.   
 3 वे पहरेदार, जो नगर में घूमते रहते हैं,  
उनसे मेरी मुलाकात हुई.  
मैंने उनसे पूछा, “क्या तुमने उसे देखा है, जो मुझे प्राणों से प्रिय है?”   
 4 मैं पहरेदारों से कुछ ही दूर गई थी,  
कि वह मुझे मिल गया, जो मेरे लिए प्राणों से भी अधिक प्रिय है,  
मैं उससे लिपट गई, मैंने उसे जाने न दिया,  
तब मैं उसे अपनी माता के घर पर ले गई,  
उसके कमरे में, जिसने मुझे अपने गर्भ में धारण किया था.   
 5 येरूशलेम की कन्याओ,  
तुम्हें मैदान के हिरणों तथा हिरणियों की शपथ,  
मुझको वचन दो, जब तक सही समय न आए,  
मेरे प्रेम को न जगाना.   
 6 रेगिस्तान की दिशा से धुएं के खंभे के  
समान यह क्या बढ़ा चला आ रहा है,  
यह लोबान और गन्धरस से सुगंधित है,  
व्यापारियों के सारे चूर्णों से भी सुगंधित?   
 7 देखो-देखो, यह शलोमोन की पालकी है,  
साठ योद्धा उसे घेरे हुए हैं,  
ये इस्राएल के शूरवीरों में से चुने हुए हैं.   
 8 वे सभी तलवार लिए हुए हैं,  
युद्ध कला में बेहतरीन,  
हर एक ने अपनी तलवार अपने पास रखी है,  
ये रात के आतंक का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.   
 9 यह पालकी राजा शलोमोन ने अपने लिए बनवाई है;  
इसमें इस्तेमाल की गई लकड़ी लबानोन से लाई गई थी.   
 10 इसके खंभे चांदी के,  
तथा सतह सोने का है.  
इसमें बैठने के स्थान के लिए बैंगनी वस्त्र का इस्तेमाल हुआ है,  
इसके अंदर के भाग को येरूशलेम की कन्याओं द्वारा प्रेम से मढ़ दिया गया है.   
 11 ज़ियोन की कन्याओ, आगे बढ़ो, मुकुट पहने हुए महाराज शलोमोन को निहारो,  
यह उसकी माता ने उसे पहनाया है,  
यह उसके विवाह का दिन है,  
यह वह दिन है, जब वह बहुत ही खुश है.