2
मी चहु कि तुम जान लेओ कि तुम्हारो अऊर ओको लाने जे लउदीकिया म हैं, अर उ सब को लाने जे न मोरो सारीरिक म हैं, अर उ सब को लाने जे न मोरो सारीरिक मुँह नी देखयो, मी कसो मेहनत करुँ हैं, तेकी ओको मन म दिल हो अर वी प्रेम आपस म गठे रहे, अर वी पुरी समझ ख पुरो धन प्राप्त करे, अर परमेस्वर पिता को भेद ख अर्थात् मसी ख पहचान ले। जे म बुध्दि अर ग्यान को पुरो भण्डार छुपयो हुओ हैं।
यू मी ऐको लाने कहूँ कि कोई अदमी तुम ख लुभान वाली बात से धोखा नी देय। लेकिन मी सरीर को भाव से तुम से दुर हूँ तोभी आत्मिक भाव से तुम्हारो पास हूँ, अर तुम्हारो व्यवस्थित जिन्दगी ख अर तुम्हारो भरोसा की, जे मसी म हैं दृढ़ता देख ख परसन होवा हैं।
मसी म जीवन की भरपुरी
अत: जसो तुम न मसी यीसु ख प्रभु कह ख ग्रहण कर लियो हैं, वसो ही उसी म चलते रहो, अर उसी म जड़ पकड़ते अर बढ़ते जाओ; अर जसो तुम सिखाए गए वसो ही भरोसा म मजबूती*दृढ़ होते जाहे, ज्यादा से ज्यादाअधिकाधिक धन्यवाद करते रहो।
होसियार रहो कि कोई तुम ख उ तत्व-ग्यान अर बेकार धोखा को व्दारा अपनो अहेर नी बनो ले, जे अदमी हुन की रीति रिवाज हुन अऊर दुनिया की आदि सिक्छा को अनुसार ते हैं, पर मसी को अनुसार नी। काहेकि ओ म देवता को पुरो परिपूर्णता हमेसा वास करा हैं, 10 अर तुम ओ म भरपूर हो गए हो, जे पुरी प्रधानता अर अधिकार को सिरोमणि आय।
11 उ ही म तुम्हारो असो खतना हुयो हैं जे हात म नी होए, अर्थात मसी को खतना जसो सारीरिक को सरीर उतार दी जाए हैं, 12 अर ओको संग म बपतिस्मा म गाड़े गयो अर उसी म परमेस्वर से सामर्थ्य पर भरोसा करे, जे न ओ ख मरियो हुओ म से जिन्दो कियो ओको संग जी भी उठो। 13 तुम लोग पाप हुन को वजे अऊर अपनो स्वभाव को खतना को अभाव को कारन मर गया था। परमेस्वर न तुम लोगो ख मसी को संग जी उठायो हैं। ओ न हमारो सब अपराध हुन ख माप करियो हैं। 14 अर विधि-विधान को उ लेख जे हमारो नाम पर अर हमारो विरोध म थो मिटा डालयो, अर ओ ख सूली पा खिल्ला से जड़ ख सामने से हटा दियो हैं। 15 अर ओ न प्रधानता हुन ख अऊर ऊपर से उतार ख उन ख खुल्लमखूल्ला तमासा बनायो अर सूली को व्दारा ओ पर जय जयकार की आवाज सुनाई।
16 ऐको लाने कोई ख यू अधिकार नी कि वाहा खान-पान, या पर्व या नयो चाँद या आराम को दिन बारे म तुम लोगो पर आरोप लगाये। 17 काहेकि यी सब आन वाली बात की छाया हैं, पर मुल चीज मसी की आय। 18 कोई अदमी आत्मा-हीनता अऊर स्वर्ग दूत की पुजा करा ख तुम ख दऊड को प्रतिफल से वचित नी करे। असो अदमी देखी वाली बात म लगो रह हैं अर अपनी सरीर कि समझ पर बेकार फूल्यो हैं, 19 अर उ सिरोमणि ख पकडे नी रहता जेसे पुरो सरीर जोडो अर पट्टों को व्दारा पालन पोसन पा ख अर एक संग गाँठ ख, परमेस्वर की ओर से बढ़ती जावा हैं।
मसी को संग मरनो अऊर जिनो
20 जब कि तुम मसी को संग दुनिया की आदि ग्यान की अर से मर गया हो, ते फिर काहे ओको समान जे दुनिया का आय जिन्दगी बितावा हैं? तुम असी विधि हुन को वंस म काहे रहते हो? 21 कि यू नी छूनो, ओ ख नी चखनो अर ओ ख हात नी लगानो? 22 या सब चीज काम म लाते-लाते खत्मनास हो जाए काहे कि यू अदमी की आग्या हुन अर सिक्छा को अनुसार हैं। 23 या विधि हुन म अपनी इच्छा को अनुसर गढ़ी हुई भक्ति की रीति, अर आत्मा-हीनता, अर सारीरिक योगाभ्यास को भाव से ग्यान को नाम तो हैं पर सारीरिक लालसा हुन ख रोकन म इन ख कुछ भी फायदा§लाभ नी होए।

*2:7 दृढ़

2:7 अधिकाधिक

2:22 नास

§2:23 लाभ