4
परमेस्वर को अदमी को आराम 
  1 एकोलाने परमेस्वर जब कि उन को आराम म अन्दर आन को वादा प्रतिग्या अब तक हैं, ते हम ख डर नो चाहिए असो नी होए कि तुम म से कोई अदमी उन से वंचित रह जाए।   2 काहेकि हम ख उन कि तरह चोक्खो सुसमाचार सुनायो गयो रह, पर सुनाया वाला वचन से उन ख कही फायदा नी भयो; काहे कि सुनन वाला को मन म भरोसा को संग नी बठयो।   3 पर हम जिन पर भरोसा कियो हैं, वी आराम करन को दिन म भीतर नी आन का; जसो कि परमेस्वर न कहयो,  
“मी न अपनो गुस्सा म ईमान खई कि वी मोरा आराम को दिन भीतर नी आ पाहे”  
हाला कि दुनिया को पैदा वार को उ बखत से उन को काम पुरो हो गयो थो।   
 4 काहेकि साँतवा दिन को बारे म ओ न कही असो कही हैं,  
“परमेस्वर न साँतवो दिन अपनो सब काम हुन ख निपटा ख आराम करयो।”   5 अर या जगह फिर उ असो कह हैं,  
“वी मोरो आराम म भीतर नी आ पान का।”   
 6 ते जब या बात बाकी हैं, कि कित्ता अऊर हैं जे उस आराम म प्रवेस करे, अर जिन ख ओको सुसमाचार पहले सुनायो गयो ओ न आदेस नी मानन को कारन ओ म प्रवेस नी करह पाहे,   7 एकोलाने परमेस्वर न कोई खास दिन ख ठहरा ख इतो दिन को बाद दाऊद को दुवारा परमेस्वर न उ दिन क बारा म किताब म बतायो थो। जसो पहले कहयो गयो  
“अदि आज तुम ओकी आवाज सुने,  
ते अपनो मन ख कठोर मत करनु।”   
 8 “काहेकि अदि यहोसू” उन ख आराम म प्रवेस करा लेतो, ते परमेस्वर बाद म कोई भी दुसरो दिन कि बात को बारा म नी करतो।   9 ते खैर जे भी होय। जान ल कि परमेस्वर क भक्त हुन को लाने एक वसो ही अराम रहव हैं जसो ही आराम को हफ्ता को दिन परमेस्वर को हतो।   10 काहे कि जो न ओको आराम म प्रवेस करयो हैं, उन न भी परमेस्वर को समान अपनो काम ख पुरो कर ख आराम करयो हैं।   11 अत: काहे कि जो न ओ कि आराम म प्रवेस करन कि कोसिस करे, असो नी होए कि अदमी हुन को समान आदेस नी मान ख गिर जाहे।   
 12 काहेकि परमेस्वर को वचन जिन्दो, अर मजबुत अर हर एक दोधारी तलवार से भी बेजा तेज हैं, अर प्रान अर आत्मा ख, अर गाँठ-गाँठ अर गुदा-गुदा ख अलग कर ख आर पार छेद देह हैं अर मन कि भावना ख अर विचार ख परख लेवह हैं।   13 परमेस्वर से कोई भी दुनिया कि चिज ओसे नी छिपी हैं लेकिन जो से हम ख काम हैं, ओकी आँख को सामने सब चीज खुली अर प्ररगट हैं।   
यीसु ही बडो महायाजक हैं 
  14 ऐको लाने काहेकि परमेस्वर को पोरिया यीसु एक असो बडो पुजारी हैं, जे स्वर्ग से हो ख गयो हैं, ते परमेस्वर को पोरिया हम ख, अपना अंगीकार ख घोसित म भरोसा ख दृढ़ता को संग थामे रखनू चाहिए।   15 काहे कि हमरो असो बडो पुजारी नी जो हमारो निर्बलता हुन म हमारो संग दुखी नी हो सकह, लेकिन उ सब बात म हमारो समान परखो तो गयो, तेभी नीस पाप निकल्यो।   16 ऐको लाने आव, अपुन अनुग्रह को सिंहासन को पास हियाव बाँध ख चले कि हम पर दया हो, अर उ अनुग्रह पाऐ जे जरूरत को बखत*बखत म हमारी मदद करे।