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परमेस्वर को पाप पर मसी म जिन्दगी
ते हम का कह हैं? का हम पाप करह रह कि परमेस्वर को दया अपनो पर होनो हैं? असो नी हैं! हम जब पाप का लाने मर गयो ते फिर सामने ख ओ म कसो जिन्दगी बितायो? का तुम लोग यू नी जान कि यीसु मसी को जे बपतिस्मा हम सब को मिलो हैं, उ उनकी माऊत को बपतिस्मा हैं। अऊर हम उनकी माऊत को बपतिस्मा मान ख उनका संग एकोलाने दफनायो गयो हैं कि जिस तरीका मसी बाप को महिमा मय सक्ति से माऊत हुन म से जिन्दो उठो हैं, ऊईच तरीका हम भी एक नयो जिन्दगी जीहे।
अदि हम यू ईच प्रकार मसी को जसो मर ख उनको संग एक हो गयो हैं, ते हम उन्ही को जसो जिन्दो होनू म भी उनको संग एक होऐ। हम जाना हैं कि हमारो पुरानो अदमी हुन ओकी संग सुली पर चढायो गयो काहे पाप को सरीर बेकार हो जाहे, अर हम आगे से पाप को दास नी रहे। काहेकि जो मर चुको हैं, उ पाप कि गुलामी से मुक्ति हो गयो हैं। अऊर हम विस्वास हैं कि अदि हम मसी को संग मर गया हैं, ते हम उन्ही को जिन्दगी को भी भागी होऐ। काहेकि यी जाना हैं कि मसी मर हुओ म जिन्दो उठ ख फिर मरन ख नी; ओ पर फिर माऊत कि प्रभुता नी होन की। 10 अऊर जब उ मर, ते पाप कि ओर से एक बार ही मर गयो; पर अब उ जीवित हो ख परमेस्वर ख लाने ही जीव हैं। 11 असो ही तुम भी अपनो खुद ख पाप का लाने ते मरो, पर परमेस्वर का लाने मसी यीसु म जिन्दो समझ।
12 एकोलाने पाप तुमारो नस्वर सरीर म राज नी करे, काहे कि तुम ओकी लालसा हुन ख बस म रहे; 13 अर नी अपनो आग हुन ख अधर्म का हथियार होन का लाने पाप ख दियो, पर अपनो तुम ख मरो भयो म से जिन्दो हुयो जाना क परमेस्वर ख दियो, अर अपनो सरीर हुन ख धर्म ख हथियार होन का लाने परमेस्वर ख दियो। 14 अऊर तुम लोग हुन पर को पाप कोई अधिकार नी रहे। अब तुम मूसा को नेम को नी, बल्कि किरपा को बस हैं।
धार्मिकता का दास
15 ते का हम एकोलाने पाप कर कि हम मूसा कि नेम को नी, पर किरपा को बस हैं? कभी नी! 16 का तुम यू नी समझ कि तुम अपनो ख कहना ख मान वाला दास को जसो म जे को प्रति अरपित कर हैं अर जेकी बात ख पालन कर हैं, खुद ही ओको दास बन जाय हैं? यू गुलामी चाहे पाप कि हो, जेको परिनाम माऊत हैं चाहे परमेस्वर कि हो, जे को बात ख पालन को परिनाम धर्म हैं। 17 पर परमेस्वर को धन्यवाद हैं कि तुम जो पाप ख दास हतो अब मन से ओ ख सिखान ख मान वाला हो गयो, जेका रूप म ढाले गयो हतो, 18 अर तुम पाप से मुक्ति हो ख धर्म को दास बन गयो हैं। 19 मी तुमरी सरीर की कमजोरी को वजेसे इंसान हुन की परंपरा को हिसाब से कहूँ हैं। जसा तुमना सरीर हुन ख बुरो काम को लाने असुध्द अर बुरो काम का दास होन को लाने सोपयो रा, वसा ही अब अपना सरीर ख सुध्द होन को लाने धर्म को दास कर ख सोप देव।
20 तब तुम पाप का दास हतो, ते धर्मी कि तरफ से आजाद *स्वतरतहतो। 21 अब जीन बात हुन से अब तुम लज्जित होव हैं, ओ से उ बखत तुम का फल पायो हतो? काहेकि उन ख आखरी ते मरनू हैं। 22 पर अब पाप से आजाद हो ख अर परमेस्वर को दास बन ख तुम ख फल मिलो जेसे सुध्द हुन मिल होव हैं, अर ओको अन्त आखरी जिन्दगी हैं। 23 काहेकि पाप कि मजदूरी ते माऊत हैं, पर परमेस्वर को वरदान हमारो प्रभु मसी यीसु म आखरी जिन्दगी हैं।

*6:20 स्वतरत