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अराधना के बारे म निरदेस
1 एकरसेति, सबले पहिली ये अनुरोध करत हंव कि बिनती, पराथना, निबेदन अऊ धनबाद जम्मो मनखे बर करे जावय— 2 राजा अऊ जम्मो ऊंच पद के मनखे बर ये करे जावय, ताकि हमन सांत अऊ सुख के जिनगी भक्ति अऊ पबितरता के संग जीयन। 3 येह बने बात ए अऊ येह हमर उद्धार करइया परमेसर ला भाथे। 4 ओह चाहथे कि जम्मो मनखेमन के उद्धार होवय अऊ ओमन सत के गियान ला जानंय। 5 काबरकि सिरिप एके परमेसर हवय अऊ परमेसर अऊ मनखेमन के बीच म एकेच बिचवई हवय, याने ओ मनखे मसीह यीसू, 6 जऊन ह जम्मो मनखेमन के पाप के छुटकारा खातिर अपनआप ला दे दीस अऊ ये गवाही ह ठीक समय म दिये गीस। 7 मेंह सच कहत हंव, लबारी नइं मारत हंव। एकरे खातिर, मेंह सुघर संदेस के परचारक, प्रेरित अऊ आनजातमन बर एक सच्चा अऊ बिसवासयोग्य गुरू ठहिराय गे हवंव।
8 एकरसेति मेंह चाहत हंव कि जम्मो जगह मनखेमन बिगर गुस्सा या बिवाद के, पबितरता के संग अपन हांथ ऊपर उठाके पराथना करंय। 9 मेंह ये घलो चाहत हंव कि माईलोगनमन संकोच अऊ बने आचरन के संग ठीक से कपड़ा पहिरंय, न कि बाल गुंथके या सोन या मोती या मंहगा कपड़ा ले अपनआप ला संवारंय, 10 पर भलई के काम करंय, जइसने कि ओ माईलोगनमन ला सोभा देथे, जऊन मन परमेसर के अराधना करे के घोसना करथें।
11 माईलोगन*या घरवाली ला चुपेचाप अऊ पूरा अधीनता म रहिके सीखना चाही। 12 मेंह कोनो माईलोगन ला ये अनुमति नइं देवंव कि ओह सिखोय या मरद†या ओकर घरवाला के ऊपर अधिकार रखय, पर ओह एकदम चुपेचाप रहय। 13 काबरकि आदम ह पहिली बनाय गीस अऊ ओकर बाद हवा बनाय गीस। 14 अऊ आदम ह बहकाय नइं गीस, पर माईलोगन ह बहकाय गीस अऊ पापिन बनिस। 15 पर माईलोगनमन लइका जने के दुवारा उद्धार पाहीं, यदि ओमन बने आचरन के संग बिसवास, मया अऊ पबितरता म बने रहंय।