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सूर के बिरूध अगमबानी
सूर सहर के बिरूध म अगमबानी:
हे तरसीस के जहाजमन, बिलाप करव!
काबरकि सूर ह नास हो गीस
उहां न तो कोनो घर अऊ न ही कोनो बंदरगाह हवय।
ये खबर ओमन ला
कित्तीमन के देस ले मिले हवय।
 
हे समुंदर के टापू म रहइयामन
अऊ सीदोनी बेपारीमन,
जेमन ला नाविकमन धनी कर दे हवंय, चुप रहव।
महासागर ले होके
सीहोर*या मिसर देस के अनाज आईस;
नील नदी के ऊपज ह सूर के आमदनी रिहिस,
अऊ ओह जाति-जाति के मनखेमन के बेपार के जगह हो गीस।
 
हे सीदोन, सरम कर, अऊ तें समुंदर के किला,
काबरकि समुंदर ह कहे हवय:
“न तो मोला कभू छेवारी के पीरा होईस अऊ न ही मेंह कोनो लइका जनमांय;
मेंह न तो बेटामन ला पालें-पोसें अऊ न ही बेटीमन ला पोसके बड़े करेंव।”
जब खबर ह मिसर देस म आही,
त सूर ले आय खबर ला सुनके ओमन ला पीरा होही।
 
तुमन पार होके तरसीस म जावव;
हे टापू म रहइयामन, बिलाप करव।
का येह खुसी ले भरे तुम्हर सहर अय,
पुराना, पुराना सहर,
जेकर गोड़मन ओला
दूरिहा देस म बसे बर ले गे हवंय?
सूर के बिरूध कोन ह ये योजना बनाईस,
जऊन ह राजामन ला गद्दी म बईठावय,
जेकर बेपारीमन हाकिम रिहिन,
जेकर साहूकारमन धरती म नामी मनखे रिहिन?
सर्वसक्तिमान यहोवा ह येकर योजना बनाईस,
ताकि ओकर सब गौरव के घमंड ला टोर देय
अऊ धरती के जम्मो नामी मनखेमन ला नम्र करे।
 
10 हे बेटी तरसीस,
जइसे ओमन नील नदी के संग करथें, वइसे अपन देस म होके जा,
काबरकि तोर मेर अऊ कोनो बंदरगाह नइं ए।
11 यहोवा ह अपन हांथ ला समुंदर ऊपर बढ़ाय हवय
राजमन ला हला दे हवय।
यहोवा ह फीनीकेया कनान के बारे म आदेस दे हवय
कि ओकर किलामन ला नास करे जावय।
12 यहोवा ह कहिस, “हे कुंवारी बेटी सीदोन, अब तें कुचरे गे हस!
तेंह अब खुस नइं हो सकस;
 
“उठ, पार नाहकके कित्तीमन के देसया साइप्रस म जा;
पर उहां घलो तोला चैन नइं मिलय।”
13 बेबिलोनीमन§या कसदीमन के देस ला देखव,
ये मनखेमन के अब लेखा-जोखा नइं ए!
अस्सूर के मनखेमन येला
मरू-भुइयां के पसुमन के एक जगह बना दे हवंय;
ओमन अपन घेराबंदी के किला बनाय हवंय,
ओमन येकर किलामन ला लूट ले हवंय
अऊ येला खंडहर कर दे हवंय।
 
14 हे तरसीस के पानी जहाजमन, बिलाप करव;
तुम्हर गढ़ ह नास हो गे हवय!
15 ओ समय सूर ला सत्तर बछर तक भुला दिये जाही, जऊन ह एक राजा के पूरा जिनगी के समय होथे। पर सत्तर बछर के बीते के बाद, येह सूर के संग होही, जइसे कि बेस्या के गीत हवय:
16 “हे बिसरा दिये गय बेस्या,
एक ठन बीना लेके सहर म घुम;
बने करके बीना ला बजा, बहुंत गीत गा,
ताकि तोला सुरता करे जावय।”
17 सत्तर बछर बीते के बाद, यहोवा ह सूर ऊपर धियान दीही। ओह फेर अपन छिनारी के कमई म मन लगाके धरती भर के सब राजमन के संग अपन धंधा करही। 18 तभो ले ओकर लाभ अऊ ओकर कमई यहोवा बर अलग रखे जाही; ओला न तो भंडार म रखे जाही, न ही जमा करे जाही। ओकर आमदनी ह ओमन करा जाही, जेमन यहोवा के आघू म रहिथें, ताकि ओमन ला भरपूर जेवन अऊ सुघर ओनहा मिलय।

*23:3 या मिसर देस

23:11 या कनान

23:12 या साइप्रस

§23:13 या कसदीमन