58
सही उपास
1 “गला फारके चिचियावव, दबाके झन रखव।
तुरही के सहीं अपन अवाज ला ऊंचहा करव।
मोर मनखेमन*या इसरायली मनखे ला ओमन के बिदरोह के काम बतावव
अऊ याकूब के संतानमन ला ओमन के पाप जता दव।
2 काबरकि ओमन रोज-रोज मोर मेर आथें;
अइसे लगथे कि ओमन मोर रसता ला जाने बर उत्सुक हवंय,
मानो ओमन एक अइसे जाति अंय, जऊन ह सही काम ला करथे
अऊ अपन परमेसर के हुकूममन ला नइं छोंड़े हवय।
ओमन मोला सिरिप फैसला के बारे म पुछथें
अऊ परमेसर बर उत्सुक जान पड़थें कि ओह ओमन के लकठा म आवय।
3 ओमन कहिथें, ‘का कारन ए कि हमन तो उपास राखेंन,
पर तेंह येला नइं देखे?
का कारन ए कि हमन अपनआप ला नम्र करे हन,
पर तेंह धियान नइं दे हस?’
“काबरकि उपास के दिन म तुमन अपन मन मुताबिक करथव
अऊ अपन बनिहारमन के सोसन करथव।
4 तुम्हर उपास ह लड़ई-झगरा
अऊ एक-दूसर ला मुक्का मारके झगरा करे म खतम होथे।
जइसन उपास तुमन आजकल रखथव, वइसन झन रखव,
अइसन उपास रखके तुमन आसा करथव कि तुम्हर अवाज ला ऊपर म सुने जाही।
5 का ये किसम के उपास ले में खुस होथंव,
कि सिरिप एके दिन बर मनखेमन अपनआप ला दीन करंय?
का येह, नरकट पऊधा सहीं कोनो मनखे के सिरिप अपन मुड़ ला झुकाना ए?
अऊ सिरिप बोरा के ओनहा अऊ राख म लेटना ए?
का येला तुमन उपास कहिथव,
एक अइसन दिन, जेला यहोवा स्वीकार करथे?
6 “का येह ओ किसम के उपास नो हय, जेकर ले में खुस होथंव:
कि अनियाय के बंधना ला टोर दिये जावय
अऊ जुड़ा के बंधना ला खोलके
अतियाचार सहइयामन ला सुतंतर कर दिये जावय
अऊ हर एक जुड़ा ला टोर दिये जावय?
7 का येह ओ किसम के उपास नो हय, कि भूखन मन के संग खाना बांटे जावय
अऊ गरीब घुमंतू ला आसरय दिये जावय—
जब तुमन नंगरामन ला देखथव, त ओमन ला ओनहा पहिरावव,
अऊ अपन खुद के रिस्तेदारमन ले मुहूं झन मोड़व?
8 तब तुम्हर अंजोर ह बिहान पहाय सहीं चमकही,
अऊ तुम्हर चंगई ह जल्दी दिखही;
तब तुम्हर धरमीपन†या तुम्हर धरमी जन ह तुम्हर आघू-आघू जाही,
अऊ यहोवा के तेज ह तुम्हर पाछू तुम्हर रकछा करही।
9 तब तुमन पुकारहू, अऊ यहोवा जबाब दीही;
तुमन मदद बर बिनती करहू, अऊ ओह कहिही: में इहां हंव।
“यदि तें अंधेर करई के जुड़ा के संग
अंगरी उठई अऊ दुस्ट बात करई के आदत ला छोंड़ देबे,
10 अऊ यदि तें भूखन मनखे के सहायता करबे
अऊ दीन दुखीमन के दुख ला दूर करबे,
तब अंधियार म तोर अंजोर ह चमकही,
अऊ तोर रथिया ह मंझनियां सहीं अंजोर हो जाही।
11 यहोवा हमेसा तोर अगुवई करही;
ओह सूखा भुइयां म तोर जरूरत ला पूरा करही
अऊ तोर हाड़ामन ला मजबूत करही।
तें बने पानी पलोय एक बारी सहीं होबे,
अऊ अइसन सोता सहीं होबे, जेकर पानी कभू नइं सूखावय।
12 तोर मनखेमन पुराना उजरे जगहमन ला फेर बसाहीं
अऊ पीढ़ी-पीढ़ी ले माढ़े नीवमन म घर बनाहीं;
तोला टूटहा दीवारमन ला फेर बनानेवाला,
अऊ घरमन के संग गलीमन ला ठीक करनेवाला कहे जाही।
13 “यदि तें बिसराम दिन ला असुध नइं करबे
अऊ मोर ओ पबितर दिन म अपन ईछा पूरा करे के कोसिस नइं करबे,
यदि बिसराम दिन ला आनंद के दिन
अऊ यहोवा के पबितर दिन मानके आदर करबे,
अऊ यदि तें येकर आदर करके ओ दिन अपन मुताबिक नइं चलबे
अऊ अपन ईछा पूरा नइं करबे या बेकार बात नइं बोलबे,
14 त तोला यहोवा के कारन आनंद मिलही,
अऊ में तोला देस के ऊंचहा जगह म बिजयी मनखे सहीं चलाहूं
अऊ तोर पुरखा याकूब के निज भाग के ऊपज ले तोला भोज खवाहूं।”
यहोवा ह ये बात ला कहे हवय।