57
धरमी जन नास हो जाथें,
अऊ कोनो ये बात के चिंता नइं करंय;
भक्त जनमन उठा लिये जाथें,
अऊ कोनो नइं समझंय
धरमी जन एकर बर उठा लिये जाथें
ताकि अवइया बिपत्ति ले बांच जावंय।
जेमन सीधा चाल चलथें
ओमन सांति पाथें;
ओमन आराम पाथें, जब ओमन के मऊत होथे।
 
“पर तुमन—इहां आवव, हे जादूगरनी के लइकामन,
हे बेभिचारी अऊ बेस्यामन के संतान!
तुमन काकर हंसी उड़ात हव?
काकर ऊपर तुमन हंसत हव
अऊ कोन ला तुमन अपन जीभ देखात हव?
का तुमन बिदरोही
अऊ लबरामन के संतान नो हव?
तुमन बलूत रूखमन के बीच
अऊ हर फईले रूखमन के खाल्हे म कामातुर होथव;
तुमन अपन लइकामन ला घाटी म
अऊ बाहिर निकले चट्टानमन के खाल्हे म बलिदान चघाथव।
घाटी के चिकना पथरामन के बीच मूरतीमन तुम्हर हिस्सा अंय;
वास्तव म, ओमन तुम्हर भाग अंय।
हव, ओमन बर तुमन पेय-बलिदान
अऊ अन्न-बलिदान चघाय हव।
ये सब ला देखके घलो, का में सांत हो जावंव?
तुमन एक ठन ऊंचहा अऊ उठे हुए पहाड़ी ऊपर अपन बिस्तर बिछाय हवव;
उहां तुमन अपन बलिदान चघाय बर गे रहेव।
अपन कपाट अऊ अपन चौखटमन के पाछू म
तुमन अपन मूरती-पूजा के चीजमन ला रखे हव।
मोला छोंड़के, तुमन अपन बिस्तर ला खुला रखे हव,
तुमन येकर ऊपर चघके येला चौड़ा कर ले हव;
तुमन ओमन ले एक समझौता कर ले हव, जेमन के बिस्तर तुमन ला बने लगथे,
अऊ तुमन ओमन के नंगरा देहें ला काम-वासना से देखे हव।
तें जैतून तेल लेके मोलेक*या राजा करा गे रहे
अऊ अपन खुसबू ला बढ़ाय।
तेंह अपन दूतमनया मूरतीमन ला बहुंत दूरिहा तक पठोय;
तें खाल्हे अधोलोक तक चले गेय!
10 तें यातरा के दुवारा अपनआप ला थका लेय,
पर तेंह ये नइं कहे, ‘येह बेकार अय।’
तोर म नवां बल के संचार होईस,
एकर कारन तेंह नइं थके।
 
11 “तेंह काकर डर ले अतेक भय खाय हस अऊ डर गे हस
कि तेंह मोर ले सच नइं बोलय,
अऊ मोला सुरता नइं राखे,
न ही येकर ऊपर धियान देय?
येकर कारन ये नो हय कि में बहुंत समय ले चुपेचाप हंव
जेकर ले तें मोला नइं डरस?
12 मेंह तोर धरमीपन अऊ तोर करम ला परगट कर दूहूं,
पर ओमन ले तोला कुछू फायदा नइं होवय।
13 जब तें मदद बर पुकारथस,
त तोर जमा करे गय मूरतीमन तोला बचावंय!
हवा ह ओ जम्मो ला दूरिहा ले जाही,
सिरिप एक सांस ह ओमन ला उड़िहा ले जाही।
पर जऊन ह मोर सरन लीही
ओह देस के उत्तराधिकारी होही
अऊ मोर पबितर पहाड़ ह ओकर अधिकार म रहिही।”
टूटे मन बर सांति
14 अऊ ये कहे जाही:
“बनावव, बनावव, सड़क ला तियार करव!
मोर मनखेमन के रद्दा ले बाधामन ला हटावव।”
15 काबरकि ऊंच अऊ उठाय गय परमेसर ह ये कहत हे—
ओ जऊन ह सदा जीयत हे, जेकर नांव पबितर ए:
“मेंह एक ऊंच अऊ पबितर स्थान म रहिथंव,
पर ओकर संग घलो रहिथंव, जऊन ह टूटे मन के अऊ आतमा म नम्र ए,
कि नम्र मन के आतमा
अऊ टूटे मन वाले के हिरदय ला खुस करंव।
16 में हमेसा ओमन ऊपर दोस नइं लगावंव,
न ही हमेसा मेंह गुस्सा करहूं,
काबरकि तब ओ मोर बनाय मनखेमन
मोर कारन मूरछित हो जाहीं।
17 ओमन के पापी लालची सुभाव के कारन मेंह बहुंत गुस्सा करेंव;
में ओमन ला दंड देंय, अऊ गुस्सा म अपन चेहरा छुपांय;
तभो ले ओमन अपन मन के रद्दा म चलते रिहिन।
18 में ओमन के चालचलन ला देखे हंव, तभो ले ओमन ला चंगा करहूं;
मेंह ओमन ला ले चलहूं अऊ इसरायल के सोक करइयामन ला सांति दूहूं,
19 मेंह ओमन के ओंठ म परसंसा के बात लानहूं।
सांति, जेमन दूरिहा अऊ लकठा म हवंय, दूनों ला सांति मिलय,”
यहोवा ह कहत हे।
“अऊ में ओमन ला चंगा करहूं।”
20 पर दुस्टमन लहरावत समुंदर सहीं अंय,
जऊन ह आराम नइं कर सकय,
अऊ जेकर लहरामन मईला अऊ चीखला उछालथें।
21 “दुस्टमन बर सांति नइं ए,” मोर परमेसर ह कहत हे।

*57:9 या राजा

57:9 या मूरतीमन