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मुरूखता के बिरूध चेतउनी
हे मोर बेटा, यदि तेंह अपन परोसी बर जमानत ले हस,
या कोनो अजनबी बर अपन चीज गिरवी म दे हस,
तेंह अपन ही बात म फंस गे हस,
अऊ अपन ही बात म पकड़े गे हस।
त हे मोर बेटा, अपनआप ला बंचाय बर अइसे कर,
जब तेंह अपन परोसी के हांथ म पड़ गे हस:
त, जा, जल्दी कर,*या जा अऊ अपनआप ला नम्र कर,
अऊ तुरते अपन परोसी ले बिनती कर।
जागत रह;
अपन आंखी म झपकी घलो झन आवन दे।
अपनआप ला छुड़ा, जइसे हिरन ह सिकारी के हांथ ले,
अऊ चिरई ह चिड़ीमार के जाल ले अपनआप ला छुड़ाथे।
 
हे अलाल मनखे, चांटीमन करा जा;
ओमन के काम ला देख, अऊ बुद्धिमान बन।
ओमन ला न तो कोनो हुकूम देवइया होथे,
न देखरेख करइया, अऊ न ही ओमन ऊपर सासन करइया,
तभो ले ओमन धूपकाला म अपन खाना संकेलथें
अऊ लुवई के बेरा अपन जेवन कुढ़ोथें।
 
हे अलाल मनखे, तेंह कब तक सोवत रहिबे?
तोर नींद ह कब टूटही?
10 थोरकन अऊ नींद, थोरकन अऊ ऊंघासी,
हांथ म हांथ धरके अऊ थोरकन देर बईठे रहई—
11 अऊ गरीबी ह चोर सहीं,
अऊ घटी ह हथियार धरे मनखे सहीं तोर ऊपर आ जाही।
 
12 समस्या खड़े करइया अऊ दुस्ट मनखे ह
बेईमानी के बात करथे;
13 ओह खराप इरादा से आंखी मारथे,
अपन पांव ले इसारा करथे
अऊ अपन अंगरी ले घलो इसारा करथे।
14 ये काम ओह अपन खराप मन ले बुरई के बात ला सोचके करथे;
ओह हमेसा झगरा करे म लगे रहिथे।
15 एकरसेति, बिपत्ति ह ओकर ऊपर अचानक आ जाही;
पल भर म, बिगर कोनो बचाव के ओह नास हो जाही।
 
16 छै ठन चीज ला यहोवा ह नापसंद करथे,
अऊ सात ठन चीज ले ओह घिन करथे:
17 घमंड ले भरे आंखी,
लबारी बात कहइया जीभ,
निरदोस मनखे के खून बहानेवाला हांथ,
18 दुस्टता के बात सोचनेवाला हिरदय,
खराप काम करे बर तियार रहइया पांव,
19 लबरा गवाह, जऊन ह लबारी के ऊपर लबारी मारथे
अऊ ओ मनखे जऊन ह मनखेमन के बीच म फूट डारथे।
बेभिचार के बिरोध म चेतउनी
20 हे मोर बेटा, अपन ददा के हुकूम ला मान
अऊ अपन दाई के सिकछा ला झन छोंड़।
21 ये बातमन ला हमेसा अपन हिरदय म रख;
येमन ला अपन घेंच म माला सहीं पहिर ले।
22 जब तेंह रेंगबे, त येमन तोर अगुवई करहीं;
जब तेंह सुतबे, त येमन तोर रखवारी करहीं;
अऊ जब तेंह जागबे, त येमन तोर ले गोठियाहीं।
23 काबरकि ये हुकूम ह एक दीया सहीं अय;
ये सिकछा ह अंजोर सहीं अय,
अऊ सुधार अऊ निरदेस
जिनगी के रसता सहीं अंय;
24 येमन तोला परोसी के घरवाली,
अऊ छिनार माईलोगन के गुरतूर बोली ले बचाथें।
 
25 ओकर सुघरता ला देखके अपन मन म ओकर लालसा झन कर
अऊ ओकर आंखी के जादू तोला झन मोहय।
 
26 काबरकि एक बेस्या के कीमत एक रोटी हो सकथे,
पर आने मनखे के घरवाली ह तोर खुद के जिनगी ला लूट लेथे।
27 का अइसे हो सकथे कि कोनो मनखे आगी ला अपन कोरा म रखे
अऊ ओकर ओनहा ह नइं जरय?
28 या का अइसे हो सकथे कि कोनो मनखे आगी म रेंगे
अऊ ओकर पांव ह नइं झुलसय?
29 अइसे ओ मनखे के दसा होथे, जऊन ह आने के घरवाली संग सुतथे;
जऊन ह अइसे माईलोगन ला छूथे, ओह दंड के भागी होही।
 
30 जऊन चोर ह अपन पेट के भूख ला मिटाय बर चोरी करथे,
ओला मनखेमन तुछ नइं समझंय।
31 तभो ले यदि ओह पकड़े जाथे, त ओला सात गुना भरना पड़ही;
चाहे ओला अपन घर के जम्मो चीज देना पड़य।
32 जऊन ह बेभिचार करथे, ओकर करा बुद्धि नइं ए;
जऊन ह अइसे करथे, ओह अपनआप ला नास करथे।
33 ओह मार खाथे अऊ अपमानित होथे,
अऊ ओकर कलंक ह कभू नइं मिटय।
 
34 काबरकि जलन ह घरवाला ला बहुंत गुस्सा देवाथे,
अऊ बदला लेवत बेरा ओह दया नइं करय।
35 ओह नुकसान के भरपई नइं चाहय;
ओला जतका भी घूस दे दव, ओह नइं मानय।

*6:3 या जा अऊ अपनआप ला नम्र कर,