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बेभिचारी माईलोगन के बिरूध चेतउनी
हे मोर बेटा, मोर बातमन ला मान
अऊ मोर हुकूममन ला अपन मन म रखे रह।
मोर हुकूममन ला मान, त तेंह जीयत रहिबे;
मोर सिकछा के मुताबिक अपन जिनगी जी।
ओमन ला अपन अंगरीमन म बांध ले,
अऊ ओमन ला अपन हिरदय के पटिया म लिख ले।
बुद्धि ले कह, “तेंह मोर बहिनी अस,”
अऊ समझ ले कह, “तेंह मोर रिस्तेदार अस।”
येमन तोला छिनार माईलोगन ले दूरिहा रखहीं,
अऊ जिद्दी माईलोगन के गुरतूर बोली ले बचाहीं।
 
मेंह अपन घर के खिड़की के
जाली म ले खाल्हे देखेंव।
मेंह भोला-भाला मनखेमन ला देखेंव,
अऊ मोर धियान ह जवानमन के बीच म,
एक निरबुद्धि जवान कोति गीस।
ओह ओ माईलोगन के घर के कोना के गली ले होवत,
ओकर घर डहार जावत रिहिस।
ओ बेरा दिन ढर गे रहय अऊ सांझ हो गे रहय,
अऊ रथिया के अंधियार छा गे रहय।
 
10 तब एक माईलोगन ओकर ले मिले बर घर ले निकलिस;
ओकर भेस ह छिनार माईलोगन सहीं रिहिस अऊ ओकर मन म कपट रिहिस।
11 (ओह उदंड अऊ हुकूम नइं माननेवाली रिहिस;
ओह बहुंत कम अपन घर म रहय;
12 कभू गली म, कभू बजार म,
त कभू गली के कोना म, ओह मनखेमन के बाट जोहय।)
13 तब ओह ओ जवान ला धरके चूमिस,
अऊ बिगर लाज-सरम के ओला कहिस,
 
14 “आज में अपन मन्नत ला पूरा करेंव,
अऊ मोर करा घर म मेल-बलिदान म चघाय खाना हवय।
15 एकरसेति मेंह तोर ले मिले बर आय हवंव;
मेंह तोला खोजेंव अऊ तोला पा गेंव!
16 मेंह अपन पलंग म
मिसर देस म बने सन के रंग-बिरंगी चादर दसाय हंव।
17 मेंह अपन पलंग ला
लोहबान, मुसब्बर अऊ दालचीनी ले सुगंधित करे हवंव।
18 आ, हमन बिहान होवत ले एक-दूसर ले मया करन;
अऊ मया म हमन आनंद मनावन!
19 काबरकि मोर घरवाला ह घर म नइं ए;
ओह दूरिहा देस चले गे हवय।
20 ओह अपन संग रूपिया ले भरे थैली ले गे हवय
अऊ ओह पून्नी के दिन घर लहुंटही।”
 
21 अइसने बात कहिके, ओह ओ जवान ला बहका लीस;
अऊ अपन गुरतूर बोली ले ओला मोह लीस।
22 ओ जवान ह तुरते ओकर पाछू हो लीस
जइसने कि कोनो पसु ह कसाईखाना जाथे,
या जइसने कि कोनो हिरन*इबरानी म मुरूख फांदा म फंसे बर जाथे
23 अऊ ओकर करेजा ला तीर ले बेधे जाथे;
या ओ जवान ह ओ चिरई सहीं अय, जऊन ह जाल म जाके फंसथे,
अऊ नइं जानय कि ओमा ओकर परान जाही।
 
24 अब, हे मोर बेटामन, मोर बात ला सुनव;
अऊ मोर बात ऊपर धियान दव।
25 तुम्हर मन ह अइसने माईलोगन ऊपर झन लगय,
या ओकर डहार म तुमन झन भटकव।
26 ओकर फांदा म फंसके बहुंते झन नास हो गे हवंय;
ओकर दुवारा मारे गे मनखेमन के संखिया बहुंत बड़े हवय।
27 ओकर घर ह मरघटी के रसता ए,
जऊन ह खाल्हे मिरतू के काल-कोठरी ला जाथे।

*7:22 इबरानी म मुरूख