7
बेभिचारी माईलोगन के बिरूध चेतउनी
1 हे मोर बेटा, मोर बातमन ला मान
अऊ मोर हुकूममन ला अपन मन म रखे रह।
2 मोर हुकूममन ला मान, त तेंह जीयत रहिबे;
मोर सिकछा के मुताबिक अपन जिनगी जी।
3 ओमन ला अपन अंगरीमन म बांध ले,
अऊ ओमन ला अपन हिरदय के पटिया म लिख ले।
4 बुद्धि ले कह, “तेंह मोर बहिनी अस,”
अऊ समझ ले कह, “तेंह मोर रिस्तेदार अस।”
5 येमन तोला छिनार माईलोगन ले दूरिहा रखहीं,
अऊ जिद्दी माईलोगन के गुरतूर बोली ले बचाहीं।
6 मेंह अपन घर के खिड़की के
जाली म ले खाल्हे देखेंव।
7 मेंह भोला-भाला मनखेमन ला देखेंव,
अऊ मोर धियान ह जवानमन के बीच म,
एक निरबुद्धि जवान कोति गीस।
8 ओह ओ माईलोगन के घर के कोना के गली ले होवत,
ओकर घर डहार जावत रिहिस।
9 ओ बेरा दिन ढर गे रहय अऊ सांझ हो गे रहय,
अऊ रथिया के अंधियार छा गे रहय।
10 तब एक माईलोगन ओकर ले मिले बर घर ले निकलिस;
ओकर भेस ह छिनार माईलोगन सहीं रिहिस अऊ ओकर मन म कपट रिहिस।
11 (ओह उदंड अऊ हुकूम नइं माननेवाली रिहिस;
ओह बहुंत कम अपन घर म रहय;
12 कभू गली म, कभू बजार म,
त कभू गली के कोना म, ओह मनखेमन के बाट जोहय।)
13 तब ओह ओ जवान ला धरके चूमिस,
अऊ बिगर लाज-सरम के ओला कहिस,
14 “आज में अपन मन्नत ला पूरा करेंव,
अऊ मोर करा घर म मेल-बलिदान म चघाय खाना हवय।
15 एकरसेति मेंह तोर ले मिले बर आय हवंव;
मेंह तोला खोजेंव अऊ तोला पा गेंव!
16 मेंह अपन पलंग म
मिसर देस म बने सन के रंग-बिरंगी चादर दसाय हंव।
17 मेंह अपन पलंग ला
लोहबान, मुसब्बर अऊ दालचीनी ले सुगंधित करे हवंव।
18 आ, हमन बिहान होवत ले एक-दूसर ले मया करन;
अऊ मया म हमन आनंद मनावन!
19 काबरकि मोर घरवाला ह घर म नइं ए;
ओह दूरिहा देस चले गे हवय।
20 ओह अपन संग रूपिया ले भरे थैली ले गे हवय
अऊ ओह पून्नी के दिन घर लहुंटही।”
21 अइसने बात कहिके, ओह ओ जवान ला बहका लीस;
अऊ अपन गुरतूर बोली ले ओला मोह लीस।
22 ओ जवान ह तुरते ओकर पाछू हो लीस
जइसने कि कोनो पसु ह कसाईखाना जाथे,
या जइसने कि कोनो हिरन*इबरानी म मुरूख फांदा म फंसे बर जाथे
23 अऊ ओकर करेजा ला तीर ले बेधे जाथे;
या ओ जवान ह ओ चिरई सहीं अय, जऊन ह जाल म जाके फंसथे,
अऊ नइं जानय कि ओमा ओकर परान जाही।
24 अब, हे मोर बेटामन, मोर बात ला सुनव;
अऊ मोर बात ऊपर धियान दव।
25 तुम्हर मन ह अइसने माईलोगन ऊपर झन लगय,
या ओकर डहार म तुमन झन भटकव।
26 ओकर फांदा म फंसके बहुंते झन नास हो गे हवंय;
ओकर दुवारा मारे गे मनखेमन के संखिया बहुंत बड़े हवय।
27 ओकर घर ह मरघटी के रसता ए,
जऊन ह खाल्हे मिरतू के काल-कोठरी ला जाथे।