*इबरानी म 34:1‑22 ला 34:2‑23 गने गे हवय
भजन-संहिता 34
दाऊद के एक भजन। जब ओह अबीमेलेक के आघू म पागल होय के नाटक करिस, जेकर से अबीमेलेक ह ओला भगा दीस, अऊ ओह उहां ले भाग गीस।
मेंह हर समय यहोवा के परसंसा करहूं;
ओकर परसंसा हमेसा मोर मुहूं ले होवत रहिही।
मेंह यहोवा ऊपर घमंड करहूं;
दुखित-पीड़ित मनखेमन सुनंय अऊ आनंद मनांय।
मोर संग यहोवा के महिमा करव;
आवव, हमन मिलके ओकर नांव के परसंसा करन।
 
मेंह यहोवा ले पराथना करेंव; अऊ ओह मोला जबाब दीस;
ओह मोला मोर जम्मो डर ले मुक्त करिस।
जऊन मन ओकर कोति देखथें, ओमन दीप्तिमान होथें;
ओमन कभू लज्जित नइं होवंय।
ये दीन-हीन मनखे ह पुकारिस, अऊ यहोवा ह ओकर बात ला सुनिस;
ओह ओला ओकर जम्मो दुख-तकलीफ ले बचाईस।
यहोवा के स्वरगदूत ह ओमन के चारों कोति डेरा डालथे, जऊन मन ओकर भय मानथें,
अऊ ओह ओमन ला छुड़ाथे।
 
परखके देखव कि यहोवा ह बने अय;
धइन अय ओ मनखे, जऊन ह ओकर करा सरन लेथे।
हे ओकर पबितर मनखेमन, तुमन यहोवा के भय मानव,
काबरकि जऊन मन ओकर भय मानथें, ओमन ला कुछू चीज के घटी नइं होवय।
10 भले ही सिंह ह कमजोर हो सकथे अऊ भूखा रह सकथे,
पर जऊन मन यहोवा के खोज म रहिथें, ओमन ला कोनो बने चीज के घटी नइं होवय।
11 हे मोर लइकामन, आवव, मोर बात ला सुनव;
मेंह तुमन ला यहोवा के भय मानना सिखोहूं।
12 तुमन म ले जऊन ह भी जिनगी ले मया करथे
अऊ बहुंते बने दिनमन ला देखे के ईछा करथे,
13 त ओह अपन जीभ ला खराप बात ले
अऊ अपन मुहूं ला लबारी बात ले दूरिहा रखय।
14 बुरई ला छोंड़के भलई करव;
सांति के खोज म रहव अऊ ओकर पाछू लगे रहव।
 
15 यहोवा के नजर ह धरमीमन ऊपर लगे रहिथे,
अऊ ओकर कान ह ओमन के गोहार के तरफ लगे रहिथे;
16 पर यहोवा ह बुरई करइयामन के बिरोध करथे,
ताकि ओह ओमन के नांव ला धरती ले मिटा देवय।
 
17 धरमीमन गोहारथें, अऊ यहोवा ह ओमन के सुनथे;
ओह ओमन ला ओमन के जम्मो समस्या ले बाहिर निकालथे।
18 यहोवा ह टूटे मनवाला के लकठा म रहिथे
अऊ ओमन के उद्धार करथे, जऊन मन आतमा म बहुंत दुखी होथें।
 
19 धरमी मनखे करा बहुंत समस्या हो सकथे,
पर यहोवा ह ओला ओकर जम्मो समस्या ले निकालथे;
20 ओह ओकर जम्मो हाड़ामन के रकछा करथे,
ओमा के एको ठन घलो नइं टूटय।
 
21 बुरई ही दुस्ट मनखे ला मार डालही;
धरमी जन के बईरीमन दोसी ठहिरहीं।
22 यहोवा ह अपन सेवकमन ला बचाही;
अऊ जऊन ह ओकर करा सरन लेथे, ओह दोसी नइं ठहिरही।

*^ इबरानी म 34:1‑22 ला 34:2‑23 गने गे हवय