भजन-संहिता 43
हे मोर परमेसर, मोला निरदोस साबित कर,
बिसवासघाती जाति के मनखेमन के बिरूध
मोर मामला ला देख।
ओमन ले मोला बचा,
जऊन मन धोखेबाज अऊ दुस्ट अंय।
तेंह परमेसर अस अऊ मोर मजबूत गढ़ अस।
तेंह काबर मोला तिरस्कार करे हस?
बईरी के दुवारा दुख मिले के कारन
मेंह काबर सोक मनावंव?
अपन अंजोर अऊ सच्चई ला मोर करा पठो,
ओमन मोर अगुवई करंय;
ओमन मोला तोर पबितर पहाड़ करा लानंय,
ओ जगह म जिहां तेंह रहिथस।
तब मेंह परमेसर के बेदी करा जाहूं,
ओ परमेसर, जऊन ह मोर आनंद अऊ मोर खुसी अय।
हे परमेसर, मोर परमेसर,
मेंह बीना बजा-बजाके तोर इस्तुति करहूं।
 
हे मोर मन, तेंह काबर उदास होवत हस?
मोर भीतरे-भीतर काबर अतेक बियाकुल हस?
परमेसर ऊपर अपन आसा रख,
काबरकि मेंह अब भी
मोर उद्धारकर्ता अऊ मोर परमेसर के परसंसा करहूं।