भजन-संहिता 48
एक गीत। कोरह के बेटामन के एक भजन।
1 महान ए यहोवा, अऊ हमर परमेसर के सहर म,
ओकर पबितर पहाड़ म, ओह सबले जादा परसंसा के योग्य अय।
2 सुघर हे अपन ऊंचई म
अऊ येह जम्मो धरती के आनंद ए,
सपोन†सपोन ह कनानीमन के सबले पबितर परबत रिहिस के ऊंचई के सहीं हवय सियोन परबत,
जऊन ह महाराजा के सहर अय।
3 परमेसर ह उहां के किलामन म हवय;
ओह अपनआप ला ओकर गढ़ के रूप म देखाय हवय।
4 जब राजामन अपन सेना ला मिलाईन,
जब ओमन एक संग आघू बढ़िन,
5 त ओमन ओला देखिन अऊ चकित हो गीन;
अऊ ओमन डर के मारे भाग गीन।
6 ओमन उहां कांपे लगिन,
ओमन ला छेवारी होवत माईलोगन के सहीं पीरा होईस।
7 तेंह ओमन ला तरसीस के पानी जहाजमन सहीं नास कर देय
याने कि पुरवई हवा ले ओमन ला चकनाचूर कर देय।
8 सर्वसक्तिमान यहोवा के सहर म,
हमर परमेसर के सहर म
जइसे हमन सुने हन
जइसे हमन देखे हन:
परमेसर ह ओला सदाकाल बर
सुरकछित बनाथे।
9 हे परमेसर, तोर मंदिर के भीतर
हमन तोर अब्बड़ मया ऊपर चिंतन-मनन करथन।
10 हे परमेसर, तोर नांव के सहीं,
तोर परसंसा ह धरती के छोर तक हबरत हे;
तोर जेवनी हांथ ह धरमीपन ले भरे हवय।
11 तोर नियाय के काम के कारन
सियोन परबत आनंद मनावत हे,
अऊ यहूदा के बस्तीमन म खुसी हवय।
12 सियोन करा जावव, ओकर चारों कोति चक्कर लगावव,
ओकर गुम्मटमन के गनती करव।
13 ओकर मजबूत दीवारमन ऊपर बने करके बिचार करव,
ओकर महलमन ला धियान से देखव,
ताकि अवइया पीढ़ी के मनखेमन ला
तुमन ओमन के बारे म बता सकव।
14 काबरकि ये परमेसर ह हमर सदाकाल के परमेसर अय;
ओहीच ह आखिरी तक हमर अगुवई करही।