*इबरानी म 49:1‑20 ला 49:2‑21 गने गे हवय
भजन-संहिता 49
संगीत के निरदेसक बर। कोरह के बेटामन के एक भजन।
हे जम्मो मनखेमन, तुमन ये बात ला सुनव;
ये संसार म रहइया जम्मो झन सुनव,
का ऊंच, का नीच,
का धनी, का गरीब, जम्मो कान लगाके सुनव:
मोर मुहूं ले बुद्धि के बात निकलही;
मोर हिरदय के मनन-चिंतन ह समझ ले भरे होही।
मेंह नीतिबचन कोति अपन कान लगाहूं;
बीना बजात मेंह जनऊला के बात समझाहूं:
 
जब बिपत्ति के दिन आथे, त मेंह काबर डरंव,
जब दुस्ट धोखेबाजमन मोला घेर लेथें—
ओ मनखे, जेमन अपन धन ऊपर भरोसा रखथें
अऊ अपन बहुंत संपत्ति ऊपर घमंड करथें?
कोनो भी मनखे कोनो आने मनखे के जिनगी के उद्धार नइं कर सकय
या कोनो भी मनखे परमेसर ला ओकर छुड़ौती के दाम नइं दे सकय—
जिनगी के छुड़ौती के दाम ह मंहगा होथे,
कोनो भी दाम ओकर बर परयाप्त नो हय—
कि ओह सदाकाल तक जीयत रहय
अऊ कबर ला झन देखय।
10 काबरकि जम्मो झन देख सकत हें कि बुद्धिमानमन मरथें,
अऊ मुरूख अऊ अगियानी मनखेमन घलो
अपन धन-संपत्ति ला आने बर छोंड़के मर जाथें।
11 ओमन सोचथें कि ओमन के कबर ह सदाकाल तक ओमन के घर बने रहिही,
पीढ़ी-पीढ़ी तक ओमन के निवास होही,
काबरकि ओमन अपन भुइयां के नांव अपन नांव म रखथें।
 
12 अपन धन-संपत्ति के बावजूद, मनखे ह हमेसा बने नइं रहय;
ओह पसु जइसन होथे, जऊन ह नास हो जाथे।
 
13 येह ओमन के दुरभाग्य ए, जेमन अपन ऊपर भरोसा रखथें,
अऊ ओमन के पाछू चलइया मनखेमन के घलो, जेमन ओमन के बात म सहमती देथें।
14 ओमन भेड़मन सहीं अंय अऊ ओमन के मरना निस्चित अय;
मिरतू ह ओमन के चरवाहा होही
(पर सीधवा मनखे ह बिहनियां ओमन ऊपर जय पाही)।
ओमन के सुघर महल ले दूरिहा,
ओमन के देहें ह कबर म सर जाही।
15 पर परमेसर ह मोला मिरतू-लोक ले छोंड़ाही;
खचित, ओह मोला अपन इहां ले जाही।
16 जब आने मन धनी होथें,
जब ओमन के घर के सोभा बढ़थे, त झन डरव;
17 काबरकि जब ओमन मरहीं, त अपन संग कुछू नइं ले जावंय,
ओमन के सोभा ह ओमन के संग कबर म नइं जावय।
18 हालाकि जब ओमन जीयत रहिथें, त अपनआप ला आसीसित समझथें—
अऊ मनखेमन तोर बड़ई करथें जब तेंह उन्नति करथस—
19 ओमन अपन पुरखामन संग मिल जाहीं,
जेमन फेर कभू जिनगी के अंजोर ला नइं देखंय।
 
20 ओ मनखे जेमन करा संपत्ति होथे, पर समझे के सक्ति नइं होवय,
ओमन ओ पसु सहीं होथें, जेमन नास हो जाथें।

*^ इबरानी म 49:1‑20 ला 49:2‑21 गने गे हवय