भजन-संहिता 98
एक भजन।
1 यहोवा बर एक नवां गीत गावव,
काबरकि ओह अद्भूत काम करे हवय;
ओकर जेवनी हांथ अऊ ओकर पबितर बाहां ह
ओकर बर उद्धार के काम करे हवय।
2 यहोवा ह जाति-जाति के मनखेमन ला अपन करे गय उद्धार ला बताय हवय
अऊ ओमन ऊपर अपन धरमीपन ला परगट करे हवय।
3 ओह इसरायल बर अपन मया
अऊ अपन बिसवासयोग्यता ला सुरता करे हवय;
धरती के जम्मो छोर तक मनखेमन
हमर परमेसर के करे गय उद्धार ला देखे हवंय।
4 हे धरती के जम्मो मनखेमन, यहोवा बर आनंद के मारे चिचियावव,
बाजा बजाके आनंद के गीत जोर-जोर से गावव;
5 बीना बजाके यहोवा के इस्तुति करव,
बीना बजाके गीत गावत ओकर इस्तुति करव,
6 तुरही अऊ नरसिंगा के ऊंचहा अवाज के संग
यहोवा, हमर राजा के आघू म आनंद के मारे जय-जयकार करव।
7 समुंदर, अऊ येमा के जम्मो चीज,
संसार, अऊ येमा रहइया जम्मो चीज जय-जयकार करंय।
8 नदीमन ताली बजावंय,
पहाड़मन एक संग आनंद के गीत गावंय;
9 ओमन ला यहोवा के आघू म गावन दव,
काबरकि ओह धरती के नियाय करे बर आथे।
ओह संसार के नियाय धरमीपन के संग
अऊ मनखेमन के नियाय बरोबरी के अधार म करही।