भजन-संहिता 111
1 यहोवा के परसंसा करव।*इबरानी म हलिलूयाह
मेंह सीधवा मनखेमन के मंडली म अऊ सभा म
अपन पूरा मन से यहोवा के परसंसा करहूं।
2 यहोवा के काममन महान एं;
जऊन मन ओ काममन ले खुस होथें, ओमन ओ काममन के ऊपर बिचार करथें।
3 ओकर काममन महिमामय अऊ सानदार अंय,
अऊ ओकर धरमीपन हमेसा बने रहिथे।
4 ओह अपन अद्भूत काममन के सुरता कराय हवय;
यहोवा ह अनुग्रहकारी अऊ दयालु अय।
5 ओह ओमन ला जेवन देथे, जेमन ओकर भय मानथें;
ओह अपन करार ला हमेसा सुरता रखथे।
6 ओह दिगर जाति के मनखेमन के भुइयां अपन मनखेमन ला देके
अपन काम के सक्ति ला देखाय हवय।
7 ओकर हांथ के काममन बिसवासयोग्य अऊ नियाय के अंय;
ओकर जम्मो नियममन बिसवासयोग्य अंय।
8 ओमन सदा-सर्वदा अटल रहिहीं,
ये कानूनमन बिसवासयोग्यता अऊ ईमानदारी से बनाय गे हवंय।
9 ओह अपन मनखेमन ला पाप ले छुटकारा दे हवय;
ओह अपन करार ला हमेसा बर ठहिराय हवय—
ओकर नांव पबितर अऊ अद्भूत अय।
10 यहोवा के भय मनई बुद्धि के सुरूआत ए;
ओ जम्मो, जऊन मन ओकर नियममन ला मानथें, ओमन अपन म सही समझ रखथें।
ओकर महिमा सदाकाल तक होवत रहय।