भजन-संहिता 112
यहोवा के परसंसा करव।
 
धइन अंय ओमन, जऊन मन यहोवा के भय मानथें,
जऊन मन ओकर हुकूम के पालन करे म बहुंत खुस होथें।
 
ओमन के लइकामन देस म सक्तिसाली होहीं;
ईमानदार मनखे के पीढ़ी ला आसीस मिलही।
ओमन के घर म धन अऊ सम्पन्नता होही,
अऊ ओमन के धरमीपन ह हमेसा बने रहिही।
ईमानदार मनखे बर अंधियार म घलो अंजोर निकलथे,
ओमन बर घलो, जऊन मन अनुग्रहकारी अऊ दयालु अऊ धरमी अंय।
ओमन के भलई होही, जऊन मन उदार मन के अंय अऊ खुले मन से उधार देथें,
जऊन मन अपन काम म नियाय के बरताव करथें।
 
खचित धरमी ह कभू नइं डगमगाही;
ओमन ला हमेसा सुरता करे जाही।
ओमन खराप संदेस सुनके भयभीत नइं होहीं;
यहोवा ऊपर भरोसा रखत ओमन के हिरदय ह इस्थिर रहिथे।
ओमन के हिरदय ह सुरकछित हवय, ओमन ला कोनो किसम के भय नइं होवय;
आखिरी म ओमन अपन बईरीमन ऊपर बिजयी होके देखहीं।
ओमन गरीबमन ला दिल खोलके दान दे हवंय,
ओमन के धरमीपन ह सदाकाल तक बने रहिथे;
ओमन के सींग ला*सींग ह इहां परतिस्ठा या सम्मान के प्रतीक अय आदर म ऊंच करे जाही।
 
10 दुस्टमन येला देखके कुढ़हीं,
ओमन अपन दांत पीसहीं अऊ बरबाद हो जाहीं;
दुस्टमन के लालसा ह पूरा नइं होही।

*भजन-संहिता 112:9 सींग ह इहां परतिस्ठा या सम्मान के प्रतीक अय