भजन-संहिता 142
दाऊद के एक मसकील†संभवतः संगीत के एक सबद, जब ओह गुफा म रिहिस। एक पराथना।
1 मेंह यहोवा ला ऊंचहा अवाज म पुकारथंव;
मेंह यहोवा ला दया करे बर जोर से गोहारथंव।
2 मेंह ओकर आघू म अपन सिकायत ला खुलके बताथंव;
ओकर आघू म मेंह अपन समस्या ला बताथंव।
3 जब मोर आतमा ह मोर भीतरे-भीतर बियाकुल होथे,
तब तेंहीच ह मोर दसा ला देखथस।
जऊन रसता म मेंह चलथंव, ओ रसता म
मनखेमन मोर बर फंदा लगाय हवंय।
4 देख, मोर जेवनी कोति कोनो नइं एं;
मोर कोनो चिंता नइं करंय।
मोर कोनो सरन-स्थान नइं ए;
कोनो मोर जिनगी ऊपर धियान नइं देवंय।
5 हे यहोवा, मेंह तोला पुकारत हंव;
मेंह कहिथंव, “तेंह मोर सरन-स्थान,
अऊ जीयत परानीमन के देस म मोर भाग अस।”
6 मोर पुकार ला सुन,
काबरकि मेंह बहुंत जरूरत म हवंव;
जऊन मन मोर पीछा करथें, ओमन ले मोला बचा,
काबरकि ओमन मोर ले बहुंत ताकतवर अंय।
7 मोला मोर जेल ले छोंड़ा ले,
ताकि मेंह तोर परसंसा करंव।
तब मोर ऊपर तोर भलई के कारन
धरमी मनखेमन मोर चारों कोति जूरहीं।