भजन-संहिता 145
परसंसा के एक भजन। दाऊद के भजन।
हे मोर परमेसर, मोर राजा, मेंह तोर नांव ला ऊपर करहूं;
मेंह तोर नांव के परसंसा सदा-सर्वदा करहूं।
हर दिन मेंह तोर परसंसा करहूं
सदा-सर्वदा तोर नांव के इस्तुति करहूं।
 
यहोवा ह महान ए अऊ सबले जादा परसंसा के योग्य ए;
ओकर महानता ला कोनो समझ नइं सकंय।
एक पीढ़ी के मनखेमन तोर काम के बारे म आने पीढ़ी के मनखेमन ला बताथें;
ओमन तोर पराकरम के काम के बारे म बताथें।
ओमन तोर वैभव के महिमामय सोभा के बारे म गोठियाथें—
अऊ मेंह तोर अद्भूत काम ऊपर मनन-चिंतन करहूं।
ओमन तोर अद्भूत काममन के सक्ति के चरचा करथें—
अऊ मेंह तोर बड़े-बड़े काममन के घोसना करहूं।
ओमन तोर बहुंत भलई के काम के उत्सव मनाथें
अऊ आनंद सहित तोर धरमीपन के गीत गाथें।
 
यहोवा ह अनुग्रहकारी अऊ दयालु अय,
कोरोध करे म धीमा अऊ मया के धनी अय।
 
यहोवा ह जम्मो झन बर बने अय;
ओह अपन बनाय हर चीज ऊपर दया करथे।
10 हे यहोवा, तोर जम्मो काममन के दुवारा तोर परसंसा होथे;
तोर बिसवासयोग्य मनखेमन तोर बहुंत परसंसा करथें।
11 ओमन तोर राज के महिमा के बारे म बताथें
अऊ तोर सक्ति के बारे म गोठियाथें,
12 ताकि जम्मो मनखेमन तोर पराकरम के काम
अऊ तोर राज के महिमामय सोभा के बारे म जानंय।
13 तोर राज ह एक कभू खतम नइं होनेवाला राज ए,
अऊ तोर परभूता ह जम्मो पीढ़ी म बने रहिथे।
 
यहोवा ह अपन जम्मो परतिगियां ला पूरा करे म बिसवासयोग्य अय
अऊ अपन जम्मो काम म घलो बिसवासयोग्य अय।*मासोरेटिक मूल-ग्रंथ के बहुंत अकन हस्तलिपि म पद 13 के आखिरी के दू पंक्ति नइं ए
14 यहोवा ह ओ जम्मो ला संभालथे, जेमन खाल्हे गिरथें
अऊ जऊन मन खाल्हे झुकथें, ओमन ला ऊपर उठाथे।
15 जम्मो झन के आंखी ह तोर ऊपर लगे रहिथे,
अऊ तेंह ओमन ला सही समय म ओमन के जेवन देथस।
16 तेंह अपन हांथ खोलके
जम्मो जीयत परानी के ईछा ला पूरा करथस।
 
17 यहोवा ह अपन जम्मो बात म धरमी
अऊ अपन जम्मो काम म बिसवासयोग्य ए।
18 यहोवा ह ओ जम्मो के लकठा म रहिथे,
जऊन मन ओला पुकारथें याने कि जऊन मन ओला सच्चई से पुकारथें।
19 ओह ओमन के ईछा ला पूरा करथे, जऊन मन ओकर भय मानथें;
ओह ओमन के गोहार ला सुनथे अऊ ओमन ला बचाथे।
20 यहोवा ह ओ जम्मो के रखवारी करथे, जऊन मन ओकर ले मया करथें,
पर जम्मो दुस्टमन ला ओह नास कर दीही।
 
21 मोर मुहूं ह यहोवा के परसंसा के बात करही।
हर एक परानी ओकर पबितर नांव के
सदा-सर्वदा परसंसा करय।

*भजन-संहिता 145:13 मासोरेटिक मूल-ग्रंथ के बहुंत अकन हस्तलिपि म पद 13 के आखिरी के दू पंक्ति नइं ए