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नियाय अऊ दया, उपास नइं
1 दारा राजा के राज के चऊथा साल के नवां महिना याने कि किसलेव महिना के चऊथा दिन यहोवा के ये बचन जकरयाह करा आईस। 2 बेतेल के मनखेमन यहोवा ले बिनती करे बर अऊ ये पुछे बर सरेसेर अऊ रेगेम-मेलेक अऊ ओमन के संगीमन ला 3 सर्वसक्तिमान यहोवा के घर के पुरोहित अऊ अगमजानीमन करा पठोईन, “का हमन पांचवां महिना म सोक अऊ उपास करन, जइसने कि हमन कतको साल ले करत आवत हन?”
4 तब सर्वसक्तिमान यहोवा के ये बचन मोर करा आईस: 5 “देस के जम्मो मनखे अऊ पुरोहितमन ले पुछ, ‘जब तुमन पांचवां अऊ सातवां महिना म पिछले सत्तर साल तक उपास अऊ बिलाप करत रहेव, त का सही म तुमन मोर बर ही उपास करेव? 6 अऊ जब तुमन खावत-पीयत रहेव, त का ये सब सिरिप अपन खाय-पीये बर नइं करत रहेव? 7 का येमन यहोवा के बचन नो हंय, जेकर घोसना ओह पहिले के अगमजानीमन के जरिये करे रिहिस, जब यरूसलेम अऊ ओकर आसपास के नगरमन सांति म रिहिन अऊ उन्नत रिहिन, अऊ नेगेव*या दक्खिन के इलाका अऊ पछिम के खाल्हे के देसमन बस गे रिहिन?’ ”
8 अऊ यहोवा के ये बचन ह जकरयाह करा फेर आईस: 9 “सर्वसक्तिमान यहोवा ह ये कहिस: ‘सही के नियाय करव; एक-दूसर के ऊपर दया देखावव अऊ तरस खावव। 10 बिधवा या अनाथ, परदेसी या गरीब ऊपर अतियाचार झन करव। एक-दूसर के बिरूध सडयंत्र झन करव।’
11 “पर ओमन ये बात ऊपर कोनो धियान नइं दीन; ढीठ होके ओमन अपन मुहूं फेर लीन अऊ अपन कानमन ला बंद कर लीन। 12 ओमन अपन हिरदय ला चकमक पथरा सहीं कठोर बना लीन अऊ कानून के बात या सर्वसक्तिमान यहोवा के ओ बचन ला नइं सुनिन, जेला ओह अपन आतमा के दुवारा पहिले के अगमजानीमन के जरिये पठोय रिहिस। एकरसेति सर्वसक्तिमान यहोवा बहुंत गुस्सा होईस।
13 “ ‘जब मेंह पुकारेंव, त ओमन नइं सुनिन; एकरसेति जब ओमन मोला पुकारहीं, त मेंह घलो ओमन के नइं सुनंव,’ सर्वसक्तिमान यहोवा ह कहत हे। 14 ‘मेंह एक बवंडर ले ओमन ला जाति-जाति के मनखेमन के बीच म तितिर-बितिर कर देंव, जिहां ओमन अजनबी रिहिन। जऊन देस ला ओमन अपन पाछू छोंड़ आईन, ओह अइसे उजाड़ पड़े रिहिस कि ओमा ले होके कोनो नइं जावंय। ये किसम ले ओमन ओ खुसहाल देस ला उजाड़ दीन।’ ”