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2 कोरिन्‍थी
दुःख-कष्‍ट मे परमेश्‍वरक सान्‍त्‍वना
पौलुसक कार्यक्रम मे परिवर्तनक कारण
गलती कयनिहार केँ आब क्षमा करू
मसीही सेवक—जीवनदायक सुगन्‍ध
योग्‍य सेवकक प्रमाण कोरिन्‍थी मण्‍डली
नव विधान पुरान विधान सँ श्रेष्‍ठ
दुर्बलता मे परमेश्‍वरक सामर्थ्‍य
विश्‍वासीक आशा—नव शरीर
हम सभ मसीहक राजदूत छी
योग्‍य सेवकक आचरण
कोरिन्‍थी सभक लेल पौलुसक प्रेम आ चिन्‍ता
कोरिन्‍थी सभक हृदय-परिवर्तन सँ पौलुस आनन्‍दित
यरूशलेमक गरीब विश्‍वासी सभक लेल दान देबाक हेतु प्रोत्‍साहन
दान संकलन करयबाक प्रबन्‍ध
खुशी सँ देल दानक परिणाम
आलोचनाक सम्‍बन्‍ध मे पौलुसक प्रत्‍युत्तर
अपन सेवा-काजक सम्‍बन्‍ध मे पौलुसक सिद्धान्‍त
झुट्ठा मसीह-दूत सभ सँ धोखा नहि खाउ
“जँ हमरा अपन बड़ाइ करहे पड़ैत अछि तँ...”
परमेश्‍वरक सामर्थ्‍यक पूर्णता मनुष्‍यक दुर्बलता मे
कोरिन्‍थी सभक लेल पौलुसक चिन्‍ता
“अपना केँ सुधारू!”
नमस्‍कार आ आशीर्वाद