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हिकमत की अहमियत
1 मेरे बेटे, मेरी बात क़बूल करके मेरे अहकाम अपने दिल में महफ़ूज़ रख।
2 अपना कान हिकमत पर धर, अपना दिल समझ की तरफ़ मायल कर।
3 बसीरत के लिए आवाज़ दे, चिल्लाकर समझ माँग।
4 उसे यों तलाश कर गोया चाँदी हो, उसका यों खोज लगा गोया पोशीदा ख़ज़ाना हो।
5 अगर तू ऐसा करे तो तुझे रब के ख़ौफ़ की समझ आएगी और अल्लाह का इरफ़ान हासिल होगा।
6 क्योंकि रब ही हिकमत अता करता, उसी के मुँह से इरफ़ान और समझ निकलती है।
7 वह सीधी राह पर चलनेवालों को कामयाबी फ़राहम करता और बेइलज़ाम ज़िंदगी गुज़ारनेवालों की ढाल बना रहता है।
8 क्योंकि वह इनसाफ़ पसंदों की राहों की पहरादारी करता है। जहाँ भी उसके ईमानदार चलते हैं वहाँ वह उनकी हिफ़ाज़त करता है।
9 तब तुझे रास्ती, इनसाफ़, दियानतदारी और हर अच्छी राह की समझ आएगी।
10 क्योंकि तेरे दिल में हिकमत दाख़िल हो जाएगी, और इल्मो-इरफ़ान तेरी जान को प्यारा हो जाएगा।
11 तमीज़ तेरी हिफ़ाज़त और समझ तेरी चौकीदारी करेगी।
12 हिकमत तुझे ग़लत राह और कजरौ बातें करनेवाले से बचाए रखेगी।
13 ऐसे लोग सीधी राह को छोड़ देते हैं ताकि तारीक रास्तों पर चलें,
14 वह बुरी हरकतें करने से ख़ुश हो जाते हैं, ग़लत काम की कजरवी देखकर जशन मनाते हैं।
15 उनकी राहें टेढ़ी हैं, और वह जहाँ भी चलें आवारा फिरते हैं।
16 हिकमत तुझे नाजायज़ औरत से छुड़ाती है, उस अजनबी औरत से जो चिकनी-चुपड़ी बातें करती,
17 जो अपने जीवनसाथी को तर्क करके अपने ख़ुदा का अहद भूल जाती है।
18 क्योंकि उसके घर में दाख़िल होने का अंजाम मौत, उस की राहों की मनज़िले-मक़सूद पाताल है।
19 जो भी उसके पास जाए वह वापस नहीं आएगा, वह ज़िंदगीबख़्श राहों पर दुबारा नहीं पहुँचेगा।
20 चुनाँचे अच्छे लोगों की राह पर चल-फिर, ध्यान दे कि तेरे क़दम रास्तबाज़ों के रास्ते पर रहें।
21 क्योंकि सीधी राह पर चलनेवाले मुल्क में आबाद होंगे, आख़िरकार बेइलज़ाम ही उसमें बाक़ी रहेंगे।
22 लेकिन बेदीन मुल्क से मिट जाएंगे, और बेवफ़ाओं को उखाड़कर मुल्क से ख़ारिज कर दिया जाएगा।