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 1 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहा  
और अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये।   
 2 वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैं  
वह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं   
 3 ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों को  
और बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा।   
 4 वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे,  
हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?”   
 5 ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से,  
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगा  
और जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा।   
 6 ख़ुदावन्द का कलाम पाक है,  
उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई,  
और सात बार साफ़ की गई हो।   
 7 तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा,  
तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा।   
 8 जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है,  
तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।