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 1 ऐ ख़ुदावन्द, कब तक? क्या तू हमेशा मुझे भूला रहेगा?  
तू कब तक अपना चेहरा मुझ से छिपाए रख्खेगा?   
 2 कब तक मैं जी ही जी में मन्सूबा बाँधता रहूँ,  
और सारे दिन अपने दिल में ग़म किया करू?  
कब तक मेरा दुश्मन मुझ पर सर बुलन्द रहेगा?   
 3 ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझे जवाब दे।  
मेरी आँखे रोशन कर, ऐसा न हो कि मुझे मौत की नींद आ जाए   
 4 ऐसा न हो कि मेरा दुश्मन कहे,  
कि मैं इस पर ग़ालिब आ गया। ऐसा न हो कि जब मैं जुम्बिश खाऊँ तो मेरे मुखालिफ़ ख़ुश हों।   
 5 लेकिन मैंने तो तेरी रहमत पर भरोसा किया है;  
मेरा दिल तेरी नजात से खु़श होगा।   
 6 मैं ख़ुदावन्द का हम्द गाऊँगा  
क्यूँकि उसने मुझ पर एहसान किया है।